चमोली: हाल ही में बीते 15 जून को लद्दाख बॉर्डर पर हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे। हमले के बाद से सबके बीच चीन के खिलाफ विरोध उत्पन्न हुआ है। उत्तराखंड में भी सैन्य गतिविधियां काफी तेजी से हो रही हैं। आपको बता दें कि उत्तरकाशी चमोली और पिथौरागढ़ यह 3 जिले हैं जो उत्तराखंड के चीन के साथ बॉर्डर साझा करते हैं। उत्तरकाशी में 122 पिथौरागढ़ में 135 और चमोली में 8 किलोमीटर लंबी सीमा चीन से लगती है लेकिन चमोली जिले की मलारी घाटी में बाड़ाहोती चीनी घुसपैठ की दृष्टि से सबसे अधिक संवेदनशील है। चीन की दृष्टि इस बॉर्डर पर सबसे अधिक रहती है। वर्ष 2017 में 3 से 8 जुलाई के बीच में तकरीबन 200 चीनी सैनिक बाड़ाहोती में घुस आए थे। लेकिन भारत के जवानों ने उन को धूल चटा दी और वहां से खदेड़ दिया। 2017 के दौरान चीनी सेना ने बाड़ाहोती में 5 बार घुसपैठ की।
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चमोली का बाड़ाहोती एक अकेला ऐसा स्थान है जहां चीनी सैनिक लगातार घुसपैठ करते रहते हैं। अगर हम आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2014 से वर्ष 2018 तक चीनी सेना बाड़ाहोती में तकरीबन 10 बार घुसपैठ कर चुकी है। इसमें हर बार भारत में सैनिकों को वापस खदेड़ दिया। यह हमारे लिए गर्व की बात है। बाड़ाहोती 10 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा चारागाह है। यह जोशीमठ से 102 किलोमीटर दूर है और अंतिम भारतीय पोस्ट रिमझिम से 3 किलोमीटर इस चारागाह से 4 किलोमीटर दूर तिब्बत का तुनजन लॉ इलाका है और चीनी सेना यहां कैंप भी करती है।वही पिथौरागढ़ सीमा पर स्थित 3 दर्रे, भारत की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाते हैं। धारचूला तहसील में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर बने लिपुलेख दर्रा और मुनस्यारी तहसील में पड़ने वाले कुंगरी-विंगरी और उंटाधूरा दर्रे समुद्र तल से तकरीबन 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। चीन के लिए इनको लांघना बिल्कुल आसान नहीं है।
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बता दें कि भारतीय क्षेत्र के ऊंचाई पर होने के कारण चाइना की गतिविधियों पर नजर रखना और भी आसान हो जाता है। शायद यही कारण है कि 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के बाद चीन ने इस सीमा पर किसी भी प्रकार की गतिविधि नहीं करी है। वहीं अगर हम उत्तरकाशी की बात करें तो दूसरी वहां हवाई पट्टी का कार्य भी अपने अंतिम चरण की ओर आ चुका है। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण पर है। सेना और वायु सेना इस हवाई पट्टी को लगातार टेस्ट कर रहे हैं। ठीक इसी जगह पर वायु सेना ने 10 जून को मालवाहक विमान के टेकऑफ और लैंडिंग का अभ्यास भी किया था। आपको बता दें कि चिन्यालीसौड़ से सटी चीन सीमा की हवाई दूरी मात्र 126 किलोमीटर है। वहीं अगर हम सड़कों की बात करें तो पिथौरागढ़ जिले में लिपुलेख तक 80 किलोमीटर सड़क बनाने के बाद अब सीमा पर स्थित मिलम सड़क भी बनाने का कार्य तेज कर दिया गया है। ऑल वेदर रोड के तहत चारों धाम तक सड़क का कार्य जारी है वहीं उत्तरकाशी जिले की नेलाग घाटी में सड़कों का जाल बिछाया जा चुका है। कुल मिला कर तीनों जिले के बॉर्डर्स के सैन्य गतिविधि सक्रिय हो रखी है और हर तरीके से सुरक्षा बढ़ गई है।