उत्तराखंड उधमसिंह नगरIPS Barinderjit Singh accuses police officers

उत्तराखंड में DGP के खिलाफ IPS ने खोला मोर्चा, अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप

पूर्व एसएसपी बरिंदरजीत सिंह का तबादला 9 जुलाई को कमांडेंट आईआरबी में हुआ है। चअब बवाल शुरू हो गया है। आगे पढ़िए पूरी खबर

IPS Barinderjit Singh: IPS Barinderjit Singh accuses police officers
Image: IPS Barinderjit Singh accuses police officers (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: ऊधमसिंहनगर। आबादी के मामले में प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जिला। यहां की कानून व्यवस्था अब तक एसएसपी बरिंदरजीत सिंह संभाल रहे थे। उनकी गिनती सूबे के तेजतर्रार पुलिस अफसरों में होती है, लेकिन इन दिनों बरिंदरजीत सिंह किसी और वजह से चर्चा में हैं। दरअसल उन्होंने अपने तबादला आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। बरिंदरजीत सिंह का तबादला 9 जुलाई को कमांडेंट आईआरबी में हुआ है। इसी के खिलाफ बरिंदरजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। यही नहीं उन्होंने डीजीपी अनिल रतूड़ी, डीजी लॉ एंड आर्डर और पूर्व आईजी पर प्रताड़ना और उत्पीड़न का आरोप भी लगाया है। याचिका में पूर्व एसएसपी बरिंदरजीत ने कहा कि 12 साल तक वो ईमानदारी से ड्यूटी करते रहे। अपने कर्तव्य को हमेशा सर्वोपरि समझा, लेकिन इसके बदले उन्हें सिर्फ प्रताड़ना ही झेलनी पड़ी।

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12 साल के कार्यकाल के दौरान उनके 8 तबादले किए गए। हाईकोर्ट ने पूर्व एसएसपी की याचिका पर गंभीरता से विचार करते हुए डीजीपी अनिल रतूड़ी, डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार और कुमाऊं के आईजी रहे जगतराम जोशी को नोटिस जारी किया है। तीनों पुलिस अफसरों को हाईकोर्ट ने 20 अगस्त तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। पूर्व एसएसपी रहे बरिंदरजीत सिंह के आरोपों ने पूरे पुलिस महकमे को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एसएसपी द्वारा न्याय के लिए खुद हाईकोर्ट पहुंचने से महकमे पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ ये भी बताते हैं। बरिंदरजीत सिंह ऊधमसिंहनगर के एसएसपी के पद पर सेवाएं दे रहे थे। 9 जुलाई को उनका तबादला कमांडेंट आईआरबी के तौर पर हुआ।

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अब बरिंदरजीत सिंह ने इस तबादले को उत्पीड़न का हिस्सा बताते हुए पुलिस महकमे के उच्च अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। नैनीताल हाईकोर्ट में दायर याचिका में उन्होंने कहा कि पुलिस के उच्चाधिकारियों ने उन्हें जिले के महत्वपूर्ण केस के मामलों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने से रोका। उन्हें चेतावनी पत्र भी भेजा गया था। 12 साल तक पुलिस और जनता की सेवा ईमानदारी से करने का ईनाम उन्हें 8 तबादलों के रूप में मिला। शुक्रवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि कुमार मलिमथ और न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई की। उन्होंने पुलिस के उच्चाधिकारियों को इस संबंध में 20 अगस्त तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।