उत्तराखंड बागेश्वरRingal Rakhi kapkot Block

देवभूमि की बहनों के लिए खास होगा ये रक्षाबंधन, पहाड़ में बन रहीं हैं रिंगाल की राखियां

बागेश्वर के कपकोट ब्लॉक में कुछ स्थानीय महिलाओं द्वारा रिगाल से राखी बनाने की मुहिम जोरों-शोरों से चल रही है। वे स्वरोजगार के साथ ही आत्मनिर्भर भारत का संदेश भी दे रही हैं।

Bageshwar News: Ringal Rakhi kapkot Block
Image: Ringal Rakhi kapkot Block (Source: Social Media)

बागेश्वर: राखी का त्यौहार अब ज्यादा दूर नहीं है। इसी के साथ रंग- बिरंगी राखी से बाजार सज गए हैं और हर जगह रक्षाबंधन की धूम दिखाई दे रही है। वहीं इस बार उत्तराखंड के स्थानीय महिलाओं ने आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने की ओर एक नया कदम बढ़ाया है। उत्तराखंड में वोकल फॉर लोकल का जबरदस्त रिस्पांस बागेश्वर में देखने को मिल रहा है। बागेश्वर के दानपुर क्षेत्र के शामा में रिगाल की हस्तनिर्मित राखियां बन रही है जो कि दिल्ली, देहरादून में जयपुर आदि जगहों पर धमाल मचा रही हैं। भाई-बहन के इस पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन के उपलक्ष्य पर इस बार भाइयों की कलाई पर रिगाल के रेशे की राखियां मौजूद होंगी। बागेश्वर के दानपुर क्षेत्र के शामा में कुछ स्थानीय महिलाओं द्वारा बनाई गई रिगाल की रंगबिरंगी राखियों की बाजार में खूब डिमांड है।

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कपकोट गांव की महिलाएं वेस्ट मटीरियल और रिगाल से राखियां बना रही हैं। यह पर्यावरण की दृष्टि से भी जरूरी है क्योंकी हर साल सैकड़ों प्लास्टिक की राखियां बनती हैं जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित होती हैं। ऐसे में रिगाल के रेशों की बनीं यह खूबसूरत राखियां पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगी, और साथ ही स्थानीय महिलाओं को भी आर्थिक मजबूती भी प्रदान करेंगी। भारत में अमूमन हर त्यौहार में बाजार चीन के सामान से सज जाते थे, और चीन के सामानों की धड़ल्ले से सेल हुआ करती थी। मगर इस बार चीन और भारत के बीच पैदा हुए तनाव के बाद सभी लोगों के अंदर चीन और उसके बनाए गए उत्पादों को लेकर नफरत पल रही है और वह चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं।

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ऐसे में स्थानीय लोगों द्वारा निर्मित लोकल उत्पादों और राखियों की डिमांड इस समय काफी बढ़ रही है। बागेश्वर के शामा की दीपाली ठाकुर, नेहा मेहता, यमुना कोरंगा, खष्ठी देवी, दीक्षा केसरवानी, पूजा बिष्ट भी अब तक करीबन 500 से अधिक राखियां बना चुकी हैं। रिगाल से बनी राखी की कीमत 30 रुपये और वेस्ट मैटेरियल से बनी राखी की कीमत 15 रुपये तय की गई है। उनके द्वारा बनाई गई राखियों की बाजार में खूब डिमांड है। राखी को रिगाल और धागे की मदद से बनाया गया और उनको बागेश्वर, हल्द्वानी, रुद्रपुर, हरिद्वार, देहरादून, दिल्ली और जयपुर आदि स्थानों के बाजारों में भी भेज दिया गया है। लोकल प्रोडक्ट्स को लेकर लोगों के बीच गजब का क्रेज दिख रहा है और इसी के साथ आत्मनिर्भरता की तरफ भारत बहुत ही तेजी से आगे बढ़ रहा है।