उत्तराखंड टिहरी गढ़वालRoad Delivery in Tehri

गढ़वाल की इससे बुरी हालत क्या होगी? मां ने सड़क किनारे दिया बच्चे को जन्म

बड़ा सवाल ये है कि जब अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स की तैनाती नहीं करनी तो अस्पताल खोल क्यों रखे हैं। साल बदलते हैं, सरकारें बदलती हैं, लेकिन पहाड़ की महिलाओं के हालात नहीं बदल रहे।

Tehri Garhwal News: Road Delivery in Tehri
Image: Road Delivery in Tehri (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: सुरक्षित प्रसव हर महिला का अधिकार है। सरकार जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए जननी सुरक्षा योजना चला रही है, लेकिन पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में महिलाएं आज भी खेतों-सड़कों पर बच्चे जनने को मजबूर हैं। साल बदलते हैं, सरकारें बदलती हैं, लेकिन पहाड़ की महिलाओं के हालात नहीं बदल रहे। स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों की कीमत पहाड़ की महिलाओं को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है, लेकिन शासन की नींद नहीं टूट रही। अब टिहरी में ही देख लें। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर और नर्स ना होने की वजह से गर्भवती महिला को बच्चे को सड़क पर जन्म देना पड़ा। बड़ा सवाल ये है कि जब अस्पतालों में डॉक्टर-नर्स की तैनाती नहीं करनी तो अस्पताल खोल क्यों रखे हैं।

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भिलंगना ब्लॉक के दूरस्थ बूढ़ाकेदार क्षेत्र में सिर्फ एक एपीएचसी है, लेकिन इसका होना ना होना बराबर है। दर्जनों गांवों के लोगों को इस एक ही अस्पताल का सहारा है, लेकिन यहां ना तो डॉक्टर है और ना ही नर्स। जिस वजह से लोगों को इलाज के लिए पीएचसी पिलखी जाना पड़ता है, जो कि 45 से 50 किमी दूर है। गुरुवार को यहां निवाल गांव में रहने वाले नत्थे सिंह की 27 वर्षीय गर्भवती पत्नी बसंती देवी को प्रसव पीड़ा हुई। बसंती को तुरंत इलाज की जरूरत थी। बूढ़ाकेदार में डॉक्टर न होने पर परिजन उसे निजी वाहन से पिलखी अस्पताल लेकर जा रहे थे। तभी महिला ने गांव से 12 किलोमीटर दूर पदोखा के पास सड़क किनारे बच्चे को जन्म दे दिया।

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भगवान का शुक्र है कि इस दौरान कोई अनहोनी नहीं हुई। जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। पहाड़ में बच्चों का सड़क-खेतों किनारे जन्म लेना अब सामान्य सी बात लगने लगी है। जाहिर सी बात है कोई भी बच्चा धरती पर अपना ऐसा स्वागत कतई नहीं चाहेगा, लेकिन पहाड़ में सालों से यही हो रहा है। तारीखें बदल रही हैं, लेकिन पहाड़ के अस्पतालों के हालात नहीं बदल रहे। इस मामले में सीएमओ डॉ. सुमन आर्य का कहना है कि जिले की ज्यादातर नर्सों की ड्यूटी कोविड-19 में लगी है। इन दिनों जिले में नर्सों की कमी है, हालांकि उन्होंने घटना की जांच कराने की बात कही है।