उत्तराखंड रुद्रप्रयागbride from America and groom from Spain got married in gaurikund

उत्तराखंड: स्पेन का दूल्हा अमेरिका की दुल्हन...गढ़वाल में हुआ शुभ विवाह

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग स्थित गौरीकुंड के बांसवाड़ा में हाल ही में एक विदेशी युवक और युवती शादी के अटूट बंधन में बंधे और उन्होंने पहाड़ी तौर-तरीकों एवं परंपराओं के अनुसार शादी के सात फेरे लिए।

Rudraprayag news: bride from America and groom from Spain got married in gaurikund
Image: bride from America and groom from Spain got married in gaurikund (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: भारतीय संस्कृति और परंपरा के कई विदेशी लोग मुरीद हैं। एक ओर जहां कई भारतीय अपनी संस्कृति से नाता तोड़ कर विदेशी संस्कृति को अपना रहे हैं वहीं कई विदेशी ऐसे हैं जो भारत की संस्कृति, यहां के रीति-रिवाजों से अत्यधिक जुड़ाव महसूस करते हैं। वह हमारी परंपरा और यहां के तौर तरीकों के प्रति प्रेम ही है जो सैकड़ों विदेशियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। हर साल सैंकड़ों विदेशी भारत भ्रमण पर आते हैं, और हिन्दू धर्म की परंपरा, संस्कृति, रीति-रिवाजों को करीब से महसूस करते हैं। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है। रुद्रप्रयाग में दो विदेशियों की पहाड़ी परिवेश में संपन्न हुई शादी आजकल खूब सुर्खियां बटोर रही है। जी हां, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के गौरीकुंड में आजकल जश्न का माहौल है। गौरीकुंड के बांसवाड़ा में गीता-कुटीर मंदिर में गांव में विदेशी युवक और युवती शादी के अटूट बंधन में बंधे और उन्होंने शादी के सात फेरे लिए। शादी खास इसलिए थी क्योंकि शादी पूरी तरह से हिंदू और खासकर कि पहाड़ी परंपरा के अनुसार संपन्न हुई। ठीक वैसे ही गणेश पूजन हुआ, हल्दी का कार्यक्रम हुआ और ग्रामीणों की उपस्थिति में बिना किसी शोर-शराबे के सादे-सरल तरीके से पहाड़ी शादी हुई।

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अमेरिका के निवासी सीगल और स्पेन की निवासी मैरी ने रुद्रप्रयाग की गीता कुटीर मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज और पहाड़ी परंपरा के अनुसार शादी संपन्न की। उनकी शादी के सभी इंतजाम वहीं के निवासियों द्वारा किए गए और देखते ही देखते सीगल एवं मैरी एक साथ शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। उनका कहना है कि भारतीय परंपरा विश्व में सबसे सर्वश्रेष्ठ है, और दोनों के ही दिलों में हिंदू परंपरा और रीति-रिवाज को लेकर काफी लगाव और प्रेम है। चलिए अब आपको दोनों के मिलन की कहानी बता दें। अमेरिका के रहने वाले सीगल ने बताया कि वह पेशे से व्यवसाई हैं और उनकी पत्नी मैरी अमेरिका की निवासी हैं। मैरी ने हाल ही में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। दोनों लोग भारत में आने से पहले एक दूसरे को जानते भी नहीं थे। भारत में ही उनकी मुलाकात हुई, दोस्ती हुई, नजदीकियां बढ़ीं और दोनों एक हो गए। उन्होंने बताया कि मिलने के बाद दिल्ली से साथ-साथ भारत भ्रमण पर निकल गए। उनको मार्च तक वापस अपने-अपने देश लौट जाना था मगर इस बीच लॉकडाउन हो गया और उन्होंने अपनी वीजा की अवधि बढ़ानी पड़ी।

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भ्रमण के दौरान दोनों के विचार मिले और उन्होंने यह तय किया कि वे भारत में रह कर ही, हिंदू परंपरा के अनुसार शादी करेंगे। घुम्मकड़ प्रवृति के विदेशी युगल पिछले हफ्ते ऋषिकेश पहुंचे और ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग होते हुए बांसवाड़ा। अधिकतर यात्रा वे पैदल ही पूरी करते हैं। बांसवाड़ा भी वे नई टिहरी के नरेंद्रनगर से पैदल होते हुए पहुंचे। वहां दोनों एक होटल में रुके और होटल के मालिक अमित सजवाण से उन्होंने बातचीत की और बताया कि वे हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों से बेहद प्रभावित हैं। वे यहीं की संस्कृति और तौर-तरीकों के साथ विवाह करना चाहते हैं। बस फिर क्या था, सजवाण ने उनको आश्वासन दिया कि उनका विवाह यहीं पूरे रीति-रिवाजों के साथ पूरा होगा और विवाह की व्यवस्था उनके द्वारा की जाएगी। सभी इंतजाम गांव के निवासियों द्वारा किए गए उन्होंने बीते गुरुवार को ग्रामीणों की मदद से बांसवाड़ा के गीता-कुटीर मंदिर के गांव में सीगल और मैरी की शादी संपन्न कराई। सुबह गणेश पूजन हुआ, उसके बाद हल्दी हाथ की रस्म निभाई गयी। मंगल स्नान के बाद सात फेरे हुए और बिना ढोल-दमाऊ, बिना किसी दिखावे के सरल और सादे तरीके से सीगल एवं मैरी का विवाह संपन्न हुआ। दोनों ने विवाहोपरांत कहा कि यह विवाह उनके लिए बेहद यादगार है और जिस प्रकार का प्रेम ग्रामीणों ने उनके प्रति दिखाया है वह अविस्मरणीय है।