उत्तराखंड नैनीतालGaurav Sharma of Mukteshwar started apple cultivation

उत्तराखंड के मुक्तेश्वर का गौरव..शहर की नौकरी छोड़ गांव लौटा, अब सेब से खेती से लाखों में कमाई

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मोहन भुलानी के फेसबुक वॉल से हमें एक प्रेरणादायक कहानी मिली है। उम्मीद है आपको पसंद आएगी।

Nainital News: Gaurav Sharma of Mukteshwar started apple cultivation
Image: Gaurav Sharma of Mukteshwar started apple cultivation (Source: Social Media)

नैनीताल: गांव में क्या रखा है? जिंदगी तो शहर में है..शहर में पैसा है, काम है और सुकून भरी लाइफ है। ऐसा कहते हुए आपने लोगों को अक्सर सुना होगा। लेकिन वक्त बदल रहा है। शहर से बेहतर जिंदगी लोग पहाड़ में जी रहे हैं और उनमें से एक लड़का गौरव भी है। गौरव शहर छोड़कर गांव लौटा और आज सेब की खेती से शानदार कमाई कर रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के मुक्तेश्वर के सगराखेत के रहने वाले गौरव की। गौरव शर्मा ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर सुकून की तलाश में अपने गांव लौटे। पहले पारंपरिक खेती में हाथ आजमाया। बात नहीं बनी। 2017 में बागवानी का रुख किया। अमेरिकन तकनीक रूट स्टॉक विधि से तैयार अमेरिकी रेड फ्यूजी, रेड चीफ, डे बर्न जैसी बौनी प्रजाति के एक हजार पौधे उच्च घनत्व (हाई डेंसिटी फार्मिंग) विधि से एक एकड़ में लगाए। तीन साल बाद आज वह 20 लाख तक की आमदनी कर रहे हैं। आगे भी पढ़िए

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गौरव ने सेब के पौधे हिमाचल प्रदेश के शिमला व बिलासपुर से मंगाए। उच्च घनत्व की सघन बागवानी में एक एकड़ में एक हजार पौधे लगाए। हालांकि पहले पारंपरिक विधि से मात्र दो से ढाई सौ पौधे ही लगाए जाते थे। नई विधि से तैयार एक पेड़ सीजन में औसत 20 किलो फल दे रहा है। मौजूदा समय में सौ रुपये प्रति किलो कीमत है। एक पेड़ से करीब दो हजार रुपये तक की आय। इस अनुपात से एक हजार पेड़ से सालाना करीब 20 लाख की कमाई हो रही है। गौरव ने शुरुआत में अमेरिकन सेब की 12 प्रजातियों के पौधे लगाए। इनमें से बस तीन रेड फ्यूजी, रेड चीफ, डे बर्न को यहां की आबोहवा भाई। ऐसे में उन्होंने दोबारा पौधे मंगाकर रोपे। दूसरे साल ही फल लग गया। हालांकि देसी सेब के तैयार होने में पांच से छह साल लगता है। गौरव बताते हैं कि तीसरे साल से प्रति पेड़ 15 से 20 किलो फल मिलने लगा है। इस बार सौ पेटी सेब दिल्ली, एनसीआर, मुंबई समेत अन्य शहरों में भेजा है।
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मोहन भुलानी के फेसबुक वॉल से साभार