उत्तराखंड उधमसिंह नगरTax evasion in the name of mask sanitizer in Uttarakhand

उत्तराखंड: सैनेटाइजर-मास्क बनाने वाली कंपनियों पर छापे, 10 करोड़ की टैक्स चोरी

ये कंपनियां आर्थिक फायदे के लिए प्रोडक्शन तो कर रही थीं, लेकिन सरकार को उसका हिस्सा यानी प्रोडक्ट पर लगने वाला टैक्स नहीं दे रहीं थीं। आगे पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand tax evasion: Tax evasion in the name of mask sanitizer in Uttarakhand
Image: Tax evasion in the name of mask sanitizer in Uttarakhand (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: ऊधमसिंहनगर में राज्य व्यापार कर विभाग की एसटीएफ टीम के ताबड़तोड़ छापों से हड़कंप मच गया। इस दौरान टीम ने सैनेटाइजर, गलब्स और मास्क बनाने वाली 10 कंपनियों में छापा मार कर करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी। ये कंपनियां सैनेटाइजर, गलब्स और मास्क बनाकर विदेशों तक में बेच रहीं थीं, लेकिन रिटर्न फाइल नहीं भर रही थीं। एक कंपनी ने तो हांगकांग में भी करीब साढ़े छह करोड़ रुपये का सैनेटाइजर बेच दिया, लेकिन जीएसटी जमा नहीं किया। राज्य व्यापार कर विभाग ने अब कंपनी से खरीद-फरोख्त से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं। कोरोना काल में सैनेटाइजर, गलब्स और मास्क बनाने वाली कंपनियां खूब मुनाफे में हैं। डिमांड है तो सप्लाई भी है। रुद्रपुर की कंपनियां भी सैनेटाइजर और गलब्स-मास्क बेच कर खूब मुनाफा कमा रही थीं, लेकिन टैक्स नहीं दे रही थीं। शिकायत मिलने पर जब राज्य व्यापार कर विभाग की एसटीएफ टीम ने इन कंपनियों में छापे मारे तो टैक्स चोरी का बड़ा मामला सामने आया।

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कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जब सैनेटाइजर, गलब्स और मास्क के इस्तेमाल को तरजीह दी जाने लगी तो रुद्रपुर की कुछ कंपनियां भी इनके उत्पादन के लिए आगे आईं। कंपनियों ने सैनेटाइजर बनाने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही आबकारी विभाग से भी अनुमति ली। परमीशन मिलने के बाद दो कंपनियां तो पीपीई किट भी बनाने लगीं। ये कंपनियां आर्थिक फायदे के लिए प्रोडक्शन तो कर रही थीं, लेकिन सरकार को उसका हिस्सा यानी प्रोडक्ट पर लगने वाला टैक्स नहीं दे रहीं थीं। कंपनियों ने सामान बेचते वक्त इस बात पर भी गौर नहीं किया कि उनके प्रोडक्ट ऊधमसिंहनगर और चंपावत का स्वास्थ्य विभाग खरीद रहा है। इस खरीद-बिक्री पर व्यापार कर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा नजर बनाए हुए थी। शाखा के डिप्टी कमिश्नर रजनीश यश अवस्थी ने जब ऑनलाइन भरी जाने वाली रिटर्न फाइलों की जांच की तो कंपनियों का सारा गोरखधंधा पकड़ में आ गया।

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जांच में पता चला कि सैनेटाइजर, मास्क और गलब्स बनाने वाली कंपनियां रिटर्न फाइल नहीं भर रही हैं। इसके बाद डीसी अवस्थी ने ऊधमसिंहनगर और चंपावत के मुख्य चिकित्साधिकारियों से कंपनियों से खरीदे गए उत्पाद की सूचना मांगी। साथ ही सिडकुल पंतनगर के क्षेत्रीय प्रबंधक से भी डिटेल देने को कहा। दोनों जगह से मिली डिटेल की जांच की गई तो पता चला कि कंपनियों ने चार महीने में करोड़ों का सैनेटाइजर-मास्क बेच दिया, लेकिन किसी ने जीएसटी जमा नहीं किया। जिसके बाद एसटीएफ टीम ने जिले की 10 कंपनियों में ताबड़तोड़ छापे मारे। इन सभी कंपनियों ने करीब 53 करोड़ की खरीद-फरोख्त की। जिस पर 18 फीसदी जीएसटी के हिसाब से 10 करोड़ का टैक्स भरा जाना था, लेकिन कंपनियों ने टैक्स नहीं भरा। एक कंपनी ने तो हांगकांग को साढ़े छह करोड़ रुपये का सैनेटाइजर निर्यात किया है, जिस पर डेढ़ करोड़ का टैक्स बनता है। राज्य व्यापार कर अधिकारियों ने कहा कि संबंधित कंपनी के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। मामले की जांच जारी है।