उत्तराखंड चमोलीKarnprayag Deepak Pundir Mushroom Production

गढ़वाल: लॉकडाउन में घर लौटा दीपक, शुरू किया मशरूम उत्पादन..होने लगी इनकम

कोरोना काल मे बेरोजगार हुए चमोली स्थित कर्णप्रयाग के दीपक पुंडीर ने अपने गांव वापस लौट कर मशरूम उत्पादन का स्वरोजगार शुरू कर मिसाल पेश की है।

Mushroom Production Uttarakhand: Karnprayag Deepak Pundir Mushroom Production
Image: Karnprayag Deepak Pundir Mushroom Production (Source: Social Media)

चमोली: कोरोना के कारण पूरे देश में सब लोग बेहद परेशान चल रहे हैं। कई युवाओं का रोजगार छिन चुका है और वे वापस उत्तराखंड की ओर लौट आए हैं। कोरोना काल में भले ही कुछ अच्छा ना हुआ हो पर पहाड़ों की रौनक जरूर वापस आ गई है। मगर अब युवाओं के सामने रोजगार एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आ खड़ा है। लेकिन इसी बीच राज्य के कई युवाओं ने स्वरोजगार को अपनाकर बेहतरीन मिसाल पेश की है। स्वरोजगार को आर्थिकी का जरिया बनाना उस समय बेहद जरूरी है और उत्तराखंड के युवा यह समझ रहे हैं और सैकड़ों युवा स्वरोजगार के पथ पर अग्रसर हो रहे हैं। आज हम एक ऐसे ही युवक की कहानी आपके सामने लेकर आए हैं जो इस समय अन्य बेरोजगार युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुका है और जिन्होंने मशरूम के उत्पादन को स्वरोजगार का जरिया बनाकर एक ठोस मिसाल समाज के आगे पेश की है। हम बात कर रहे हैं चमोली के कर्णप्रयाग विकासखंड के बारदोली गांव के युवक दीपक पुंडीर की जो इस समय अपने गांव में रहकर अपने घर के अंदर मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। आगे पढ़िए

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दीपक भी उन युवाओं में शामिल हैं जिनकी लॉकडाउन में नौकरी चली गई। बता दें कि दीपक ने सरकारी नौकरी की आस में बीपीएड प्रशिक्षण पूरा कर के योग में डिग्री भी हासिल की थी मगर उनको रोजगार नहीं मिला तो उन्होंने चाइना की निजी कंपनी में बीजिंग पहुंचकर नौकरी करने की ठानी। मगर तबतक कोरोना वायरस ने दस्तक दे दी और उनका प्लान धरा का धरा रह गया। लॉकडाउन में उनको वापस अपने गांव की ओर रुख करना पड़ा। गांव पहुंच कर उन्होंने उम्मीद की किरण जगाए रखी और स्वरोजगार अपनाने की ठानी। उन्होंने मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया अब वे अपने दो कमरों में मशरूम का उत्पादन करते हैं। उनका कहना है कि वह भविष्य में बड़ा प्लांट लगाकर गांव में स्वरोजगार का प्रचार-प्रसार कर अन्य युवाओं को भी इस व्यवसाय से जोड़ना चाहते हैं। चमोली के दीपक पुंडीर का कहना है कि उन्होंने अपनी मेहनत से यह रोजगार शुरू किया है और वह इससे बेहद संतुष्ट हैं मगर अब भविष्य में वे और मेहनत करेंगे ताकि उनका यह स्वरोजगार का व्यवसाय और अधिक तरक्की करे और अधिक से अधिक युवाओं को इससे जोड़ें। उन्होंने कहा है कि भविष्य में अगर उनको सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है तो वह अपने गांव में बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन का प्लांट स्थापित कर अपने गांव के अन्य युवाओं को भी इससे जोड़ने का प्रयास करेंगे।