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आकाशगंगा में से आकाश और गंगा अलग-अलग कर सकते हैं क्या? इंन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग

नाले के गैस से चाय उबलने लगी, बादलों के आगोश में छुपे विमान को रडार ने देखना बंद कर दिया।और...पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग

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Image: Indresh maikhuri new blog (Source: Social Media)

देहरादून: एक जमाने में एक विद्वान ने कहा यदि पानी से सारी बिजली निकाल दोगे तो फिर पानी में बचेगा क्या,सिंचाई के लिये तो कुछ रहेगा ही नहीं उसमें ! फिर बरसों-बरस ज्ञान के क्षेत्र में अंधेरा छाया रहा।ज्ञान के क्षेत्र में भले अंधेरा छाया रहा हो पर फिल्म वाले इस नायाब विचार को नहीं भूले ! फिल्म वालों ने इस नायाब विचार का उपयोग किया !
हजारों साल नरगिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
तो आखिरकार चमन में दीदावर पैदा हुआ। नाले के गैस से चाय उबलने लगी, बादलों के आगोश में छुपे विमान को रडार ने देखना बंद कर दिया।और इस सीरीज़ का नवीनतम शाहकार - हवा में से पानी सोख लेना है, हवा में से ऑक्सीजन अलग कर लेना है, फिर उसकी बाज़ार में बोली लगानी है-ऑक्सीजन ले लो भई ऑक्सीजन, हवा में से निकाला बढ़िया ऑक्सीजन! विश्वगुरु बनने की राह पर सरपट दौड़ चले हम ! रफ्तार यदि यही रही तो इस आकाशगंगा और इस आकाशगंगा के पार दूसरी आकाशगंगाओं के भी गुरु बन सकते हैं ! आकाश गंगा से ख्याल आया : आकाश गंगा में से आकाश और गंगा अलग-अलग कर सकते हैं क्या, इस तरह हमारे पास आकाश और गंगा दोनों ही एक्सट्रा हो जाएंगे !

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