उत्तराखंड नैनीतालGeeta arya clears junior research fellowship exam

पहाड़ की गीता ने पास की वो परीक्षा.. जिसमें देश के सिर्फ 86 होनहार चुने जाते हैं

गीता आर्य ने भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से आयोजित जूनियर रिसर्च फैलोशिप परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है

Nainital news: Geeta arya clears junior research fellowship exam
Image: Geeta arya clears junior research fellowship exam (Source: Social Media)

नैनीताल: उत्तराखंड के युवा आज हर क्षेत्र में उत्तराखंड का नाम रोशन करने में जुटे हुए हैं। देशभर में प्रदेश के युवा देवभूमि के नाम का परचम बुलंद कर रहे हैं और अपनी प्रतिभा एवं मेहनत से नए-नए मुकाम हासिल कर रहे हैं। खासकर कि राज्य की बेटियों की बात करें तो वे भी कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं और सफलता हासिल कर रही है। उत्तराखंड की काबिल बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर यह साबित कर रही है कि वह किसी से कम नहीं हैं। शिक्षा से लेकर खेल तक हर जगह लड़कियां अपनी जीत का डंका बजा रही हैं। चाहे कितना भी बड़ी चुनौती क्यों ना हो, महिलाएं हर क्षेत्र में अपना शत-प्रतिशत देकर आगे आ रही हैं और यह बता रहे हैं कि वह सशक्त के साथ-साथ हुनरमंद भी हैं। प्रदेश में दिन-प्रतिदिन कई बेटियों की तरक्की से जुड़ी खबरें हमारे सामने आती रहती है और राज्य समीक्षा आपको उनसे रूबरू करवाता रहता है। इसी कड़ी में अपना नाम जुड़ा है उत्तराखंड के नैनीताल की एक काबिल बेटी ने।

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हम बात कर रहे हैं नैनीताल के कुमाऊं विश्वविद्यालय परिसर की इतिहास विभाग की काबिल एवं होनहार छात्रा गीता आर्य की जिन्होंने अपनी मेहनत की बदौलत नैनीताल और पूरे उत्तराखंड का नाम गौरवान्वित किया है। जी हां, नैनीताल कॉलेज के इतिहास विभाग की शोधकर्ता छात्रा गीता आर्य पुलिस लाइन की निवासी है। उन्होंने भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की ओर से आयोजित जूनियर रिसर्च फैलोशिप परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। बता दें कि इस परीक्षा में देश भर से हजारों परीक्षार्थी शामिल होते हैं मगर केवल 86 शोध छात्र-छात्राओं का ही चयन होता है। उत्तराखंड की गीता आर्य उन्हीं शोधकर्ताओं में शामिल है जिनका चयन परीक्षा में हुआ है। परीक्षा में अपीयर होने वाले कुल अभ्यर्थियों एवं इसको क्लियर करने वालों की संख्या से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस परीक्षा का स्तर कितना कठिन है। बता दें कि इस परीक्षा को पास करने के बाद शोधकार्य के लिए शोधकर्ताओं को सरकार की तरफ से स्कॉलरशिप मिलती है और इस परीक्षा में उत्तीर्ण होकर गीता आर्य ने नैनीताल समेत समूचे उत्तराखंड का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।