उत्तराखंड देहरादूनModel Tenancy Act in Uttarakhand

उत्तराखंड में मकान मालिक और किरायेदारों के लिए जरूरी खबर, लागू होने वाला है ये नियम

एक्ट लागू होने के बाद किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच झगड़े नहीं होंगे। एक्ट के तहत पहले ही जिम्मेदारियां तय कर दी जाएंगी। किरायेदारों को भी गुणवत्तापरक सेवाएं मिलेंगी।

Uttarakhand Model Tenancy Act: Model Tenancy Act in Uttarakhand
Image: Model Tenancy Act in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: अगर आप उत्तराखंड में किराये के मकान में रहते हैं तो ये खबर आपके लिए है। उत्तराखंड में आदर्श किरायेदारी अधिनियम (एमटीए) लागू करने की तैयारी चल रही है। इससे किरायेदारी क्षेत्र को औपचारिक बाजार के रूप संतुलित बनाने में मदद मिलेगी। भू-स्वामियों के साथ-साथ किरायेदारों के हितों का भी संरक्षण होगा। राज्य सरकार ने केंद्र के आदर्श किरायेदारी अधिनियम को अपनाया है। राज्य में एक्ट लागू करने की कवायद जारी है। शहरी विकास विभाग ने अधिनियम को लेकर 31 अक्टूबर तक लोगों से सुझाव मांगे हैं। आदर्श किरायेदारी अधिनियम क्या है, और इससे किरायेदारों को क्या फायदे होंगे, ये भी जान लें..दरअसल केंद्र सरकार ने मकान मालिक व किरायेदारों के बीच आपसी झगड़ों को खत्म करने के लिए आदर्श किरायेदारी एक्ट तैयार किया है। अभी आपसी सहमति से मकान मालिक किसी को भी किराये पर रख लेता है। आगे पढ़िए

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अभी किरायेदार और मकान मालिक के बीच कोई कानूनी औपचारिकता नहीं निभाई जाती, लेकिन आदर्श किरायेदारी एक्ट लागू होने के बाद ऐसा नहीं होगा। एक्ट के लागू होने पर मकान मालिक और किरायेदार के बीच लिखित रूप से अनुबंध होगा और सहमति से ही किराया तय किया जाएगा। एक्ट में मकान की पुताई से लेकर बिजली की वायरिंग, स्विच बोर्ड, पानी का नल ठीक करने आदि के लिए अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गई है। अब तक बिजली और पानी के बिल के लेकर मकान मालिक अक्सर किरायेदारों से शिकायतें करते रहते थे। मकान को किसी तरह का नुकसान होता था तो सिर्फ कह सकते थे, लेकिन एक्शन नहीं ले सकते थे। एक्ट लागू हो जाने के बाद जिम्मेदारी तय हो जाएगी। जिससे मकान मालिक और किरायेदार के बीच किसी तरह का विवाद नहीं रहेगा। आगे पढ़िए

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किरायेदारों को क्या फायदा होगा ये भी बताते हैं। अधिनियम लागू होने के बाद मकान मालिक अपनी मर्जी से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। एक्ट लागू होने के बाद रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए आने वाले प्रवासियों, छात्रों और कामगारों को गुणवत्तापरक सेवाएं मिलेंगी। किराये से जुड़े जो भी विवाद और शिकायतें होंगी, वो सिविल कोर्ट में दायर नहीं होंगी। ऐसे मामलों की सुनवाई किराया प्राधिकरण व न्यायालय में की जाएगी। इस एक्ट में आवासीय और व्यावसायिक, दोनों तरह के भवन आएंगे। शहरी विकास विभाग की ओर से एक्ट पर 31 अक्टूबर तक लोगों से सुझाव व आपत्तियां मांगी गई हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि ये एक बेहतर नियम है और देखना है कि कब तक ये लागू होता है।