उत्तराखंड टिहरी गढ़वालSpecialists of dobra chanti bridge

उत्तराखंड की शान है ये पुल, दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज को दे रहा है टक्कर..जानिए बेमिसाल खूबियां

टिहरी झील के ऊपर बना डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे लंबा मोटरेबल झूला पुल है। इसमें ऐसी कई खूबियां हैं, जो इसे दूसरे सस्पेंशन ब्रिज से अलग बनाती हैं।

Dobra chanti bridge: Specialists of dobra chanti bridge
Image: Specialists of dobra chanti bridge (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: टिहरी वासियों की ‘उम्मीदों’ का पुल आज जनता को समर्पित कर दिया गया। फसाड लाइट से सजे इस पुल की खूबसूरती मन मोह लेने वाली है। वास्तव मैं ये पुल दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज को टक्कर दे रहा है। राज्य स्थापना दिवस पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने टिहरी झील के ऊपर बने डोबरा-चांठी पुल का उद्घाटन किया। इसी के साथ प्रतापनगर वासियों का बरसों का सपना हकीकत में तब्दील हो गया। डोबरा-चांठी पुल पर आवाजाही शुरू हो गई है। टिहरी झील के ऊपर बना डोबरा-चांठी पुल देश का सबसे लंबा मोटरेबल झूला पुल है। इसमें ऐसी कई खूबियां हैं, जो इसे दूसरे सस्पेंशन ब्रिज से अलग बनाती हैं। डोबरा-चांठी पुल ने आकार लेने में सालों का वक्त लिया, लेकिन लंबे इंतजार के बाद जो पुल बनकर तैयार हुआ है, उसे देख बरसों का इंतजार सफल हो गया लगता है। इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है। पुल की चौड़ाई 7 मीटर है। जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है। डोबरा-चांठी पुल की उम्र करीबन 100 साल तक बताई जा रही है। पुल के निर्माण पर करीब 3 अरब रुपये खर्च हुए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - गढ़वाल: देश के सबसे लम्बे झूला पुल पर सफर शुरु..खत्म हुआ 15 साल का इंतज़ार
पुल को फसाड लाइट से सजाया गया है। कोलकाता के हावड़ा ब्रिज की तरह जगमगाने वाला ये पुल पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। फसाड लाइट पर 5 करोड़ की लागत आई। नई टिहरी में बने डोबरा-चांठी पुल का निर्माण साल 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन इसे आकार लेने में 14 साल लग गए। निर्माण के दौरान कई समस्याएं सामने आईं। कभी गलत डिजाइन और कमजोर प्लानिंग ने समस्याएं खड़ी की तो कभी विषम परिस्थितियों ने रोड़े अटकाए। साल 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था। तब तक इसके निर्माण पर 1.35 अरब रुपये खर्च हो चुके थे। साल 2016 में लोनिवि ने इस पुल का निर्माण कार्य दोबारा शुरू कराया। पुल के डिजाइन के लिए अंतरराष्ट्रीय टेंडर निकाला गया। साउथ कोरिया की यूसीन कंपनी को यह टेंडर मिला। इस तरह पुल 2020 में बनकर तैयार हुआ। पुल के उद्घाटन के साथ करीब ढाई लाख की आबादी का 14 सालों का इंतजार भी खत्म हो गया है। अब प्रतापनगर की जनता कम समय में जिला मुख्यालय आ-जा सकेगी।