उत्तराखंड देहरादूनThe tigress disappeared from Rajaji National Park

उत्तराखंड में जिस बाघिन पर खर्च हुए करोड़ों रुपये..वो बाघिन ढाई महीने से लापता

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Rajaji National Park tigress: The tigress disappeared from Rajaji National Park
Image: The tigress disappeared from Rajaji National Park (Source: Social Media)

देहरादून: देहरादून के राजाजी बाघ रिजर्व से एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। यह खबर दिखाती है कि किस तरह तमाम रिजर्व पार्कों द्वारा लापरवाही बरती जाती है। रिजर्व में रह रहे जानवरों की सुरक्षा की बड़ी-बड़ी बातें जरुर की जाती हैं, मगर धरातल पर कोई भी काम होता हुआ नहीं दिखता है। बता दें कि राजाजी बाघ रिजर्व पार्क की मोतीचूर रेंज में कई सालों से दो बाघिन रहती हैं। उनमें से एक बाघिन ढाई महीने से भी अधिक समय से गायब हो रखी है। और यह तब हुआ है जब यह दावा किया गया है कि इन दोनों बाघिनों बके ऊपर पार्क कड़ी निगरानी रख रहा है और इनकी देखरेख के लिए भारी तादात में कर्मी भी तैनात हैं। इन दोनों बाघिनों की देखरेख के लिए करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। ढाई महीने से इनमें से एक बाघिन लापता हो रखी है और उसको कहीं भी देखा नहीं जा पा रहा है जिसके बाद से पार्क प्रशासन में कोहराम मचा हुआ है।

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सालों से अकेली रह रहीं इन दोनों बाघिनों को T1 और T2 नाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि राजाजी बाघ रिजर्व की मोतीचूर रेंज में 2006 में भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों ने इन दो बाघिनों की मौजूदगी दर्ज की थी। माना जा रहा था कि इससे पहले मोतीचूर रेंज में बाघ नहीं देखे गए हैं। इन दोनों बागिनों की मौजूदगी के बाद इनके ऊपर नजर रखने के लिए पार्क द्वारा कई करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं और भारी सुरक्षा भी दी जा रही है। मगर इसके बावजूद भी ढाई महीने से T1 नाम की बाघिन दिखाई नहीं दे रही है और ना ही उसकी लोकेशन कहीं ट्रेक हो पा रही है। यह दोनों बाघिन सालों से यहां पर अकेली रह रही हैं और इनकी देखरेख के लिए यहां पर भारी-भरकम स्टाफ भी तैनात किया गया है। कई कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं और हर समय इन दोनों बाघिनों की लोकेशन भी ट्रेस की जाती है। मगर यह सब मात्र और रिकॉर्ड में दर्ज करने की बात है। असल में अगर ऐसा होता तो अब तक T1 बाघिन की खबर लग जाती। T1 नामक बाघिन सितंबर महीने के बाद से पार्क रेंज में नहीं देखी गई है और ना ही उसका कहीं अता-पता लग पाया है। ढाई महीने से पार्क प्रशासन को इस बात की खबर नहीं थी कि जिन बाघिनों के ऊपर इतने पैसा लगा रहे हैं उनमें से एक बाघिन इतने महीनों से लापता हो रखी है। इस बात के कई पहलू निकलते हैं। या तो पार्क रिजर्व के प्रशासन को इस बात का पता था और उसने इस बात को उठने नहीं दिया या फिर प्रशासन ने इस मामले में गंभीर लापरवाही बरती है।

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लापता हुई T1 बाघिन को आखिरी बार सितंबर में बेरीवाड़ा क्षेत्र के पास देखा गया था। पार्क के डायरेक्टर डीके सिंह का दावा है कि वहां मिलने वाले पदचिन्ह T1 के ही थे। सितंबर के बाद से ही T1 की कोई भी फोटोग्राफ प्रशासन के पास नहीं है और ना ही वे उसकी लोकेशन को ट्रेस कर पा रहे हैं। जहां पर आखरी बार T1 के पदचिन्ह देखे गए थे वहां पर वन विभाग द्वारा गश्त बढ़ा दी गई है और कैमरा ट्रैप भी लगाए जा रहे हैं। बड़कोट रेंज देहरादून फॉरेस्ट डिविजन में पड़ता है और इस रेंज में आज तक मोतीचूर की यह बाघिन कभी भी नहीं आई है क्योंकि यहां पर आने के लिए हाईवे का एक लंबा रास्ता पार करना जरूरी है और इसी के कारण दोनों बाघिनें आज तक मोतीचूर के बाहर नहीं देखी गई हैं। मगर आखिरी बार बड़कोट रेंज में ही T1 के पदचिन्ह दिखाई दिए गए थे। इतनी कड़ी सिक्योरिटी और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी T1 बाघिन का गायब होना गंभीर माना जा रहा है और राजाजी बाघ रिजर्व प्रशासन लापता बाघिन की खोजबीन कर रहा है।