उत्तराखंड पिथौरागढ़Story of hansa manral of uttarakhand

उत्तराखंड की हंसा..भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच, जिसकी कोचिंग में देश ने जीते कई मेडल

हंसा मनराल के दिशा निर्देशन में पहली बार भारतीय भारोत्तोलक महिलाओं ने विश्व भारोत्तोलन प्रतियोगिता में 5 रजत और 2 कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।

Hansa manral: Story of hansa manral of uttarakhand
Image: Story of hansa manral of uttarakhand (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: वेट लिफ्टिंग। ऐसा फील्ड, जिसमें आज भी पुरुषों का दबदबा है। बेटियां जब वेट लिफ्टिंग जैसे खेलों की तरफ कदम बढ़ाती हैं तो समाज उन्हें पीछे खींचने के लिए पूरा जोर लगाने लगता है। लोग कहते हैं, वेट लिफ्टिंग में क्या रखा है। बैडमिंटन खेल लो, टेबल टेनिस में ग्लैमर है। 80 के दशक में पहाड़ की एक बेटी को भी वेट लिफ्टिंग के क्षेत्र में पहचान बनाने के लिए इसी तरह के संघर्ष से दो-चार होना पड़ा, लेकिन वो हारी नहीं, टूटी नहीं। आज हम उन्हें भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच के रूप में जानते हैं। इनका नाम है हंसा मनराल। भारत की पहली महिला भारोत्तोलक कोच बनने वाली हंसा मनराल ने रोमा देवी, कर्णम मल्लेश्वरी, ज्योत्सना दत्ता और अनीता चानू जैसी मशहूर महिला वेट लिफ्टर के खेल को बेहतर बनाने में मदद की।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: राजनीति से संन्यास लेंगे हरीश रावत, लेकिन रखी एक शर्त
हंसा मनराल के दिशा निर्देशन में पहली बार भारतीय भारोत्तोलक महिलाओं ने विश्व भारोत्तोलन प्रतियोगिता में 5 रजत और 2 कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। चीन में आयोजित एशियाड चैंपियनशिप में भारतीय महिला टीम ने 3 स्वर्ण, 4 सिल्वर और 14 कांस्य पदक जीते। साल 2001 में हंसा मनराल को द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। चलिए अब आपको पूरे देश का मान बढ़ाने वाली हंसा मनराल के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं। हंसा मनराल का जन्म पिथौरागढ़ के भाटकोट गांव में हुआ। चार भाई-बहनों वाले परिवार में वो सबसे छोटी थीं। शुरुआती पढ़ाई भाटकोट से करने के बाद उन्होंने पिथौरागढ़ डिग्री कॉलेज से बीए की परीक्षा पास की। हंसा खेलकूद में हमेशा से अव्वल थीं। वो पहले गोला, चक्का और भाला फेंक जैसे खेलों में हिस्सा लेती थीं। संसाधनों की कमी थी, इसलिए उन्होंने गोला फेंक की प्रैक्टिस के लिए गोल पत्थरों का इस्तेमाल किया।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में कड़ाके की ठंड..यहांं बर्फबारी से जम गई झील, दिखा मनमोहक नज़ारा
साल 1985 तक वो राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 12 गोल्ड, 4 रजत और 5 कांस्य पदक हासिल कर चुकी थीं, लेकिन साल 1983 में हंसा के पैर में गंभीर चोट आ गई। जिसके बाद वो कुछ समय तक खेल से दूर रहीं। लगातार पैर दर्द के कारण उन्हें एथलेटिक्स छोड़ना पड़ा। इसके बाद लखनऊ में उनकी मुलाकात भारत्तोलन के राष्ट्रीय कोच गोविंद प्रसाद शर्मा से हुई। जिसके बाद उन्होंने भारत्तोलन की प्रैक्टिस की। इसमें भी उन्होंने नए राष्ट्रीय कीर्तिमान हासिल किए। बाद में वो खेल प्रशिक्षक के तौर पर मैदान में सक्रिय हुई। ये सफर आज भी जारी है। हंसा मनराल की बेटी भूमिका शर्मा भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर की बॉडी बिल्डर हैं। साल 2017 में भूमिका ने महज 21 साल की उम्र में बॉडी बिल्डिंग मिस वर्ल्ड का खिताब जीत लिया था। भूमिका शर्मा ये खिताब जीतने वाली भारत की पहली महिला हैं।