उत्तराखंड अल्मोड़ाKandali may be effective in fighting Coronavirus

कंडाली का कमाल..कोरोना से लड़ने में कारगर है कंडाली, शोध में सामने आए रोचक तथ्य

कोविड-19 की वैक्सीन कब आएगी, इस सवाल का सही जवाब अब तक किसी के पास नहीं है, लेकिन कोरोना संकट से जूझ रही दुनिया के लिए उत्तराखंड से एक उम्मीद भरी खबर जरूर आई है।

Kandali: Kandali may be effective in fighting Coronavirus
Image: Kandali may be effective in fighting Coronavirus (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: कोविड-19 की रोकथाम और इसको खत्म करने की तैयारी के मद्देनजर हर किसी को इसकी कारगर वैक्सीन का इंतजार है। वैक्सीन कब आएगी, इस सवाल का सही जवाब अब तक किसी के पास नहीं है, लेकिन कोरोना संकट से जूझ रही दुनिया के लिए उत्तराखंड से एक राहत भरी खबर जरूर आई है। पहाड़ में मिलने वाले बिच्छू घास में कोरोना वायरस से लड़ने वाले यौगिक मिले हैं। अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना विवि के जंतु विज्ञान विभाग एवं राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इसे लेकर शोध किया गया था। शोध में बिच्छू घास में 23 ऐसे यौगिकों की खोज की गई है, जो कोरोना वायरस से लड़ने में काफी कारगर साबित हो सकते हैं। पहाड़ में जगह-जगह खरपतवार की तरह उगने वाले बिच्छू घास में कई औषधीय गुण हैं। बुजुर्ग लोग इस बारे में जानते थे, यही वजह है कि बिच्छू घास या कंडाली पहाड़ के खान-पान का अहम हिस्सा हुआ करता था। अब वैज्ञानिक शोध ने भी इस बात को साबित कर दिया है कि कंडाली दूसरे रोगों के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ भी कारगर हथियार साबित हो सकती है। कंडाली एक तरह का जंगली पौधा है। हिमालयी इलाकों में मिलने वाले इस पौधे का वैज्ञानिक नाम Urtica dioica है। कुमाऊं में इसे सियूंण कहते हैं, जबकि गढ़वाल में इसे कंडाली कहा जाता है। आगे पढ़िए

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सोबन सिंह जीना विवि अल्मोड़ा के जंतु विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं शोध प्रमुख डॉ. मुकेश सामंत ने शोध कार्य की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस शोध में उनके साथ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के डॉ. अवनीश कुमार और शोधार्थी शोभा उप्रेती, सतीश चंद्र पांडेय और ज्योति शंकर ने कार्य किया। डॉ. सामंत का ये शोध स्विट्जरलैंड से प्रकाशित होने वाली वैज्ञानिक शोध पत्रिका स्प्रिंगर नेचर के मॉलिक्यूलर डाइवर्सिटी में प्रकाशित हुआ है। शोध के दौरान बिच्छू घास में मिलने वाले 110 यौगिकों की मॉलिक्यूलर डॉकिंग विधि से स्क्रीनिंग की गई। इस दौरान कंडाली में 23 ऐसे यौगिक मिले जो हमारे फेफड़ों में मिलने वाले एसीई-2 रिसेप्टर से आबद्ध हो सकते हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण को रोक सकते हैं। इस वक्त बिच्छू घास से इन यौगिकों को निकालने का काम चल रहा है। कोरोना काल में उत्तराखंड के वैज्ञानिकों और शोधार्थियों की ये खोज बड़ी उपलब्धि है। पहाड़ में मिलने वाली वनस्पतियों में ऐसे अनेक यौगिक हैं, जो कोरोना और दूसरे संक्रमणों से लड़ने में सक्षम हैं। इस दिशा में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।