उत्तराखंड पिथौरागढ़Reporting of girl in Garhwal

पहाड़ की एक बच्ची ने अपनी रिपोर्टिंग से जीता सभी का दिल, दिखाए असल हालात..आप भी देखिए

एक ग्रामीण लड़की अपने गांव में पेयजल की किल्लत को बेहद संवेदनशीलता और मार्मिकता के साथ पेश करती नजर आ रही है..देखिए वीडियो

Garhwal News: Reporting of girl in Garhwal
Image: Reporting of girl in Garhwal (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: उत्तराखंड के पहाड़ों को याद करने पर हम अपने मन में खूबसूरत वादियों का एक चित्र बना लेते हैं। मगर पहाड़ों की विडंबनाओं की ओर कोई ध्यान नहीं देना चाहता। अगर हम ठहर कर पहाड़ों पर रहने वाले लोगों की जिंदगी को करीब से देखें तो हमें चुनौतियों के सिवा वहां पर कुछ भी नहीं दिखेगा। पग-पग पर पहाड़ पर रहने वाले लोग कठिनाइयों का सामना करते हैं। शहरों जैसी सुविधाएं तो छोड़िए पहाड़ों पर बसे गांवों के अंदर मूलभूत सुविधाएं तक लोगों के पास नहीं है। सड़क से लेकर पानी तक...बिजली से लेकर स्वास्थ्य सेवाओं तक... तमाम मूलभूत सुविधाओं से उत्तराखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग वंचित हैं। कहते तो सभी हैं कि गांव में विकास होना बहुत जरूरी है मगर क्या यह विकास सच में धरातल तक पहुंचा है? उत्तराखंड की विडंबना यही है कि उत्तराखंड में आज तक किसी ने भी ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की ओर ध्यान दिया ही नहीं है। बात करें सबसे मूलभूत जरूरत पानी की तो उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की दयनीय व्यवस्था के बारे में हम सभी जानते हैं। पानी की किल्लत के कारण लोग कोसों मील दूर कंधों पर पेयजल ढो कर लाने में मजबूर हैं। आगे देखिए वीडियो

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लोगों के घरों तक पानी का कनेक्शन अबतक नहीं पहुंचा है। मजबूरन गांव में आधा समय लोगों का पानी लाने में ही लगता है। पानी लाने के लिए कई किलोमीटर पहाड़ चढ़ने पड़ते हैं, मगर जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं, शासन, प्रशासन... किसी को भी लोगों का दर्द नहीं झलकता है। आखिर कब पहाड़ में पानी की किल्लत दूर होगी और लोगों को कई किमी फासला तय करके पानी ढोने की पीड़ा से छुटकारा मिल सकेगा। इन सब के बीच फेसबुक पर उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों के दर्द को बयां करती एक वीडियो सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है। यह वायरल वीडियो उत्तराखंड के गढ़वाल परिक्षेत्र की है। वीडियो गांव की एक बच्ची बना रही है। वीडियो साफ दर्शाती है कि गांव में लोग किन-किन हालातों में पहाड़ चढ़कर कई किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं। वीडियो में गांव की एक बच्ची अपने घर पानी लेकर जा रही है और उसने अपने दोनों बैलों के गले में भी दो बोतलें टांग रखी हैं। वीडियो में एक छोटा बच्चा भी पानी की दो बोतलें उठाए दिख रहा है। बच्ची ने अपने गांव की परिस्थितियों को लोगों तक पहुंचाने के लिए यह वीडियो बनाई है। पानी जैसी मूलभूत जरूरत लोगों को अपने कंधे पर ढो कर कई दूर से लानी पड़ती है।

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देवभूमि में ऐसे कई गांव हैं जहां लोगों को पीने के पानी के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ती है। आंकड़ों की बात करें तो उत्तराखंड में 67 प्रतिशत ऐसे ग्रामीण परिवार हैं जहां महिलाओं को पानी के लिए अतिरिक्त प्रयास करना पड़ता है। गांव की बच्ची द्वारा बनाई गई यह संवेदनशील वीडियो कड़वी सच्चाई को बयां कर रही है। यह सच्चाई है जिसकी ओर ध्यान देने की जरूरत है। वीडियो बनाने वाली बच्ची का कहना है कि उनको रोज ऐसे ही कई किलोमीटर दूर से पानी अपने घर पर ढो के लाना पड़ता है। पेयजल की किल्लत को ग्रामीण लड़की ने बेहद मार्मिक तरीके से बयां किया है। सरकार द्वारा हर घर पानी अमृत योजना की भी शुरुआत की गई थी। एक रुपए में पानी कनेक्शन की बात भी की गई मगर उत्तराखंड में यह योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। पलायन इन्हीं मजबूरियों की वजह से होता है। अगर पलायन को रोकना है तो गांव तक मूलभूत सुविधाओं का पहुंचाना बहुत जरूरी है। अब आगे आप उत्तराखंड से आई इस बच्ची की वीडियो देखिए और सोचिए कि उत्तराखंड में ग्रामीण आखिर किन परिस्थितियों में रहने पर मजबूर हैं।

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