उत्तराखंड उत्तरकाशीStory of teekaram panwar of uttarkashi

गढ़वाल का मेहनती युवा..शेफ की नौकरी छूटी, घर में बनाया लिंगुड़े का अचार..शानदार कमाई

फाइव स्टार होटल में नौकरी करने वाले शेफ टीकाराम लॉकडाउन में गांव लौट आए। उनका गांव वापस आना क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान बन गया।

Uttarkashi news: Story of teekaram panwar of uttarkashi
Image: Story of teekaram panwar of uttarkashi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: कोरोना काल में कई लोगों की नौकरियां गई। लोगों को शहर छोड़कर वापस गांव जाकर काम करना पड़ा। कई लोग जहां हाथ पर हाथ धर कर हालात सुधरने का इंतजार करते रहे, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे। जिन्होंने अपने हुनर के जरिए ना सिर्फ अपनी बल्कि अपने जैसे कई बेरोजगारों की किस्मत संवारने की ठान ली। ऐसे ही लोगों में से एक हैं उत्तराखंड के रहने वाले टीकाराम पंवार। उत्तरकाशी के रहने वाले टीकाराम पंवार आज स्थानीय पहाड़ी व्यंजनों को बेहतर पैकेजिंग में ढाल कर दूर-दूर तक पहुंचा रहे हैं। टीकाराम पंवार के इस प्रयास से क्षेत्रीय किसानों, महिलाओं और श्रमिकों को रोजगार का साधन तो मिला ही है, साथ ही लोकल फूड प्रोडक्ट को बड़े स्तर पर पहचान भी मिली है। ठांडी गांव के रहने वाले टीकाराम पंवार बेंगलुरु के फाइव स्टार होटल में शेफ के तौर पर कार्यरत थे। आगे पढ़िए

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लॉकडाउन लगा तो टीकाराम गांव लौट आए। उनका गांव वापस चले आना यहां के लोगों के लिए वरदान बन गया। गांव लौटकर उन्होंने अपने हुनर का इस्तेमाल किया और लिंगुड़े का अचार, पहाड़ी मसाले, मिक्स दाल, भुजेला की बड़ी और हर्बल-टी जैसे प्रोडक्ट तैयार करने लगे। उन्होंने पहाड़ में मिलने वाले लिंगुड़े और खुबानी के अचार की रेसेपी तैयार की। घराट यानी पनचक्की में मसाले पीसे। औषधीय पौधों से हर्बल टी तैयार की और इन्हें आय का साधन बनाया। पहाड़ में बने उत्पाद बेचकर वो अब तक 5 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर चुके हैं।
टीकाराम पंवार 8 साल तक दुबई में शेफ के तौर पर काम करते रहे। साल 2018 के बाद वो बंगलुरु के फाइव स्टार होटल हयात में काम करने लगे। आगे पढ़िए

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मई में जब वो गांव लौटे तो उन्होंने नदी-नालों के पास उगने वाले लिंगुड़े से अचार बनाने की ठानी। शुरुआत में उन्होंने परिवार के साथ मिलकर लिंगुड़े का दो क्विंटल अचार तैयार किया। जो देहरादून और उत्तरकाशी में 400 रुपये प्रति किलो के हिसाब से हाथोंहाथ बिक गया। इस सफलता से उत्साहित टीकाराम आज पहाड़ी उत्पादों और पारंपरिक खानपान को पहचान दिलाने की मुहिम में जुटे हैं। वो क्षेत्र के काश्तकारों से दाल, मंडुवा और दूसरे पहाड़ी उत्पाद भी खरीद रहे हैं, जिन्हें गढ़ बाजार के माध्यम से बेचा जा रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उनके प्रयास की तारीफ कर चुके हैं। टीकाराम कहते हैं कि हमारी कोशिश है कि पहाड़ के उत्पादों को गढ़वाल के सभी होटल व्यवसायियों तक पहुंचाया जाए। इससे हमारे पारंपरिक व्यंजनों को नई पहचान मिलेगी।