उत्तराखंड चमोलीRoad will reach Dronagiri village

उत्तराखंड: इस गांव से संजीवनी पर्वत उखाड़कर ले गए थे हनुमान..अब यहां भी पहुंचेगी सड़क

चमोली जिले के चीन सीमा क्षेत्र में स्थित द्रोणागिरी गांव में जल्द ही सड़क आने वाली है। मान्यता है कि इसी गांव से हनुमान भगवान लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी का पर्वत उखाड़कर ले गए थे।

Dronagiri Mountains Uttarakhand: Road will reach Dronagiri village
Image: Road will reach Dronagiri village (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड का चमोली जिला....यहां पर अभी कई गांव ऐसे मौजूद है जहां तक पक्की सड़क नहीं पहुंच पाई है। सड़क जो कि एक मूलभूत जरूरत है उसके अभाव में कई ग्रामीण अभी जी रहे हैं और भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में जिसके गांव तक सड़क आ जाती है वह गांव वाकई में आबाद हो जाता है। ऐसी ही खुशी देखने को मिल रही है उत्तराखंड के चमोली से लगे चीन सीमा क्षेत्र में सबसे दूरस्थ गांव द्रोणागिरी में जो जल्द ही सड़क से जुड़ने वाला है। अगले साल तक द्रोणागिरी गांव में सड़क आने की संभावनाएं हैं। जी हां, सड़क निर्माण कार्य अब अपने अंतिम चरण पर है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल तक द्रोणागिरी के ग्रामीणों को सड़क का अनमोल तोहफा मिल जाएगा। धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से यह गांव बेहद महत्व रखता है। इस गांव की धार्मिक महत्वता के बारे में हम आपको आगे बताएंगे। सड़क की बात करें तो सड़क के अभाव में द्रोणागिरी गांव के ग्रामीण अभी तक तकरीबन 7 किलोमीटर पैदल दूरी तय करके अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचते हैं। जी हां, 7 किलोमीटर कम फासला नहीं होता है। हम यह अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि ग्रामीणों को किन परिस्थितियों में 7 किलोमीटर पैदल चलकर गांव से मुख्य सड़क तक जाना पड़ता होगा। मगर अब उनकी समस्या जल्दी ही खत्म हो जाएगी और गांव तक पक्की सड़क का निर्माण कार्य बस पूरा होने वाला है और पक्की सड़क आने वाली है।

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बता दें कि सड़क सुविधा ना होने के कारण गांव पलायन की मार झेल रहा है। गांव में एक दशक पहले तक तकरीबन 150 परिवार निवास करते थे, मगर गांव तक पहुंचने के लिए 7 किलोमीटर की पैदल दूरी तय करने के कारण अब गांव में केवल 50 परिवार ही रह गए और बाकी अन्य परिवार सभी पलायन का शिकार हो गए हैं। 2008 में शासन ने 6.6 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए मंजूरी दी थी और तब से गांव में सड़क निर्माण चल रहा है। इस सड़क को बनाने के लिए 10 करोड़ 94 लाख रुपए भी स्वीकृत हुए थे। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भी सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है और 4 किलोमीटर से अधिक पूरा हो चुका है। लोनिवि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगले वर्ष तक यह सड़क द्रोणागिरी गांव तक पहुंच जाएगी और इस सड़क के बनने से द्रोणागिरी गांव के साथ ही कागा गांव को भी काफी फायदा मिलेगा। आगे जानिए इस गांव और इस जगह की पौराणिक मान्यता

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द्रोणागिरी गांव धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में यहां का विकास होना भी काफी जरूरी है और प्रशासन द्रोणागिरी गांव के विकास की ओर खासा ध्यान दद रही है। क्या आप जानते हैं कि रामायण में जब भगवान लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे तब भगवान हनुमान उनके लिए संजीवनी बूटी लेने गए थे और वे यह बूटी द्रोणागिरी गांव से ही लाए थे। मान्यता है कि श्री राम रावण युद्ध के समय हनुमान द्रोणागिरी गांव से संजीवनी बूटी के लिए पर्वत का एक बड़ा हिस्सा उखाड़ ले गए थे और इस पर्वत को स्थानीय ग्रामीण देवता के रूप में पूजते थे। इसी बात से द्रोणागिरी गांव के ग्रामीण आज भी हनुमान से नाराज हैं और यही वजह है कि गांव में आज में हनुमान की पूजा नहीं होती है और यहां तक की रामलीला में भी हनुमान का अध्याय शुरू होते ही मंचन समाप्त कर दिया जाता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर गैरसैंण में द्रोणागिरी गांव के अंदर संजीवनी गार्डन की स्थापना करने की घोषणा की थी। जिसकी लागत 15 लाख रुपए है। गार्डन के तैयार होते ही द्रोणागिरी गांव में पर्यटन भी बढ़ेगा और अगले साल तक सड़क के आते ही पलायन की समस्या भी दूर हो जाएगी।