उत्तराखंड देहरादूनRamesh Chand Joshi becomes Chief Information Officer of CBI

उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल..पहाड़ के सपूत को CBI में मिली बड़ी जिम्मेदारी

उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी रमेश चंद जोशी का चयन सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई ( केंद्रीय जांच ब्यूरो) के मुख्य सूचना अधिकारी के पद पर हो गया है।

Ramesh Chand Joshi: Ramesh Chand Joshi becomes Chief Information Officer of CBI
Image: Ramesh Chand Joshi becomes Chief Information Officer of CBI (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड से एक खुशखबरी सामने आ रही है। उत्तराखंड के सिविल सर्विस एक्जाम के 1993 बैच के वरिष्ठ अधिकारी रमेश चंद जोशी का चयन देश की प्रतिष्ठित एवं सर्वोच्च मुख्य जांच एजेंसी सीबीआई ( केंद्रीय जांच ब्यूरो) के मुख्य सूचना अधिकारी के पद पर हो गया है जो कि समूचे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है। वे देहरादून जिले के जौनसार बावर से नाता रखते हैं। यह स्थान जौनसारी जनजाति का मूल स्थान है। रमेश चंद जोशी ने सन 1993 में सिविल सर्विस का एग्जाम क्रैक किया था और अब उनका चयन सीबीआई के मुख्य सूचना अधिकारी के पद पर हो गया है। इससे पहले रमेश चंद जोशी भारत सरकार के पीआईबी पत्र सूचना कार्यालय में अपर महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा 1982 में अंबाडी से हुई और उसके बाद बारहवीं उन्होंने 1984 में जीआईसी चकराता से की। उसके बाद उन्होंने 1986 में डीएवी कॉलेज देहरादून से ग्रेजुएशन प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में एमए किया और बैंक में उनके नौकरी लग गई। आगे पढ़िए

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1993 में उन्होंने सिविल परीक्षा पहले प्रयास में क्रैक कर बड़ी सफलता हासिल की और अब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन में उनका चयन मुख्य सूचना अधिकारी प्रवक्ता के पद पर हुआ है जिससे पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन हुआ है। रमेश चंद जोशी द्वारा जौनसारी बोली एवं भाषा के संरक्षण हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। वे जौनसारी बोली एवं भाषा को संरक्षित करना चाहते हैं जिसके लिए वे कई प्रयास करते रहते हैं। उन्होंने वर्ष 2010 में जौनसारी भाषा के संरक्षण हेतु एक शब्दकोश की रचना कर उसका प्रकाशन करवाया था और इसके बाद लुप्त हो रहे लोकगीतों को पुनर्जीवित करने हेतु उन्होंने एल्बम के माध्यम से उसका प्रचार और प्रसार किया। 1991 वह साल था जब उन्होंने जौनसारी कविता व गीत लेखन की शुरुआत की और अब तक वे तकरीबन 50 से भी अधिक कविताओं एवं गीतों की रचना कर चुके हैं। उन्होंने जौनसार बावर की लोक संस्कृति के ऊपर कई लेख लिखे हैं जो कई जगह प्रकाशित हो चुके हैं। 2010 में उनको जौनसारी शब्दकोश के प्रकाशित करने पर गढ़ बैराट सम्मान से सम्मानित किया गया था। उसके बाद 18 दिसंबर 2018 को देहरादून में आयोजित पीआरएसआई के अधिवेशन के अवसर पर उनको मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा उत्तराखंड गौरव सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।