उत्तराखंड देहरादूनBk samant new song pancheshwar dam

पहाड़ में कई सालों के बाद बनते हैं ऐसे गीत, इस बार बीके सामंत ने दिल जीत लिया..देखिए वीडियो

‘डुबी जाला घर द्वार, डुबी जाला खेत, डांडा-कांणा बाटा सब होलि बस रेत’ जैसे शब्दों से सजा गीत बेहद मार्मिक बन पड़ा है। गीत में बांध परियोजनाओं का वो पहलू दिखाया गया है, जिसकी अक्सर अनदेखी कर दी जाती है।

BK samant: Bk samant new song pancheshwar dam
Image: Bk samant new song pancheshwar dam (Source: Social Media)

देहरादून: सालों पहले जब टिहरी बांध बना था तो उस वक्त टिहरीवासियों ने अपने घर-द्वार छोड़ने की जो पीड़ा भोगी थी, उसी पीड़ा से इस वक्त कुमाऊं के निवासी भी गुजर रहे हैं। यहां पंचेश्वर बांध का निर्माण होने जा रहा है, जो कि पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा के कुछ हिस्से को कवर करेगा। विकास के नाम पर बन रहे इस बांध का स्थानीय लोग विरोध भी कर रहे हैं। उनकी अपनी चिंताएं हैं। इन्हीं चिंताओं और पीड़ा को लोकगायक बीके सामंत ने अपने नए गीत ‘पंचेश्वर बांध’ में व्यक्त किया है। ‘डुबी जाला घर द्वार, डुबी जाला खेत, डांडा-कांणा बाटा सब होलि बस रेत’ जैसे शब्दों से सजा गीत बेहद मार्मिक बन पड़ा है। गीत में बांध परियोजनाओं का वो पहलू दिखाया गया है, जिसकी अक्सर अनदेखी कर दी जाती है। श्रीकुंवर एंटरटेनमेंट के बैनर तले बना ये गीत आपको जरूर दिखाएंगे, लेकिन उससे पहले आपको पंचेश्वर बांध परियोजना के बारे में थोड़ी डिटेल और दे देते हैं। आगे देखिए वीडियो

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - रुद्रप्रयाग में बनेगा उत्तराखंड का पहला नेचर कैनोपी वॉक-वे..जानिए प्रोजेक्ट की खास बातें
काली नदी पर बनने वाला ये बांध उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत और अल्मोड़ा के कुछ हिस्से को कवर करेगा। पंचेश्वर बांध के साथ ही एक और छोटा बांध रुपाली गाड़ बांध भी बनना है। सामाजिक संगठन बांध का अलग-अलग वजहों से विरोध कर रहे हैं। दरअसल क्षेत्र के लोग दशकों से टनकपुर-बागेश्वर रेलवे लाइन की मांग कर रहे हैं, बांध बना तो ये क्षेत्र डूब क्षेत्र में आ जाएगा। पर्यावरणविदों का कहना है कि यहां जितनी बड़ी झील बनेगी उससे कुमाऊं का मौसम चक्र बदलेगा। जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ेगा। डीपीआर में प्रभावितों के पुनर्वास का प्रावधान भी नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक चंपावत जिले में 3 लाख से ज्यादा पेड़ बांध क्षेत्र में डूब जाएंगे। पिथौरागढ़ वन प्रभाग में भी लाखों पेड़ बांध के पानी में डूब जाएंगे। सैकड़ों गांव प्रभावित क्षेत्र में आएंगे। लोगों को अपने घर-खेत छोड़ने होंगे। लोगों का कहना है कि उन्हें अपनी संस्कृति, घर-पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं चाहिए। लोगों की इन्हीं भावनाओं को लोकगायक बीके सामंत ने शब्दों में पिरोया है। चलिए अब आपको ‘पंचेश्वर बांध’ गीत सुनाते हैं, उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगा। आगे देखें वीडियो

सब्सक्राइब करें: