उत्तराखंड टिहरी गढ़वालAshish Dangwal Project Smiling School

पहाड़ में एक शिक्षक ऐसा भी..कड़ी मेहनत से संवारा सरकारी स्कूल, दीवारें बोल उठी..देखिए वीडियो

शिक्षक आशीष डंगवाल के प्रयास से गढ़खेत के सरकारी स्कूल की दीवारें खिल उठी हैं। इन दीवारों को चित्रों के माध्यम से न सिर्फ खूबसूरत बनाया गया है, बल्कि इनके जरिए छात्रों को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है।

Ashish Dangwal: Ashish Dangwal Project Smiling School
Image: Ashish Dangwal Project Smiling School (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: टिहरी के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक आशीष डंगवाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। अभिनव प्रयोगों के लिए मशहूर शिक्षक आशीष डंगवाल के प्रयास से गढ़खेत के सरकारी स्कूल की दीवारें खिल उठी हैं। इन दीवारों को चित्रों के माध्यम से ना सिर्फ खूबसूरत बनाया गया है, बल्कि इनके जरिए छात्रों को संस्कृति से जोड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है। आशीष डंगवाल पहाड़ के वही शिक्षक हैं, जिन्हें उत्तरकाशी के भंकोली में शानदार विदाई मिली थी। आशीष पहाड़ के छात्रों की बेहतरी के साथ, उत्तराखंड की संस्कृति को सहेजने का काम भी कर रहे हैं। शिक्षक आशीष डंगवाल इन दिनों टिहरी जिले के राजकीय इंटर कॉलेज, गढ़खेत की तस्वीर बदलने में जुटे हैं। दरअसल शिक्षक आशीष डंगवाल ने प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल नाम से नई पहल शुरू की है। इसके तहत उन्होंने गढ़खेत के सरकारी स्कूल की बदहाल तस्वीर में रंग भरने का काम किया। गढ़खेत के सरकारी स्कूल की दीवारें पहले बदहाल और बदरंग हुआ करती थीं, इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। पिछले दिनों जब आशीष डंगवाल को स्कूल में तैनाती मिली तो उन्होंने सबसे पहले स्कूल को संवारने का बीड़ा उठाया, उनके प्रयासों से स्कूल की दीवारें खूबसूरत चित्रों से सज गई हैं। आगे देखिए वीडियो

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ऐसा लगता है मानों पूरा उत्तराखंड गढ़खेत स्कूल में सिमट गया हो। यहां दीवारों पर बाबा केदार के धाम के दर्शन हो रहे हैं। हरकी पैड़ी, चिपको आंदोलन, टिहरी झील, गैरसैंण और यहां तक की अल्मोड़ा बाजार का चित्र भी दीवारों पर उकेरा गया है। शिक्षक आशीष डंगवाल कहते हैं कि स्कूलों की निरसता दूर करने के लिए इनमें रंग भरने की कोशिश की गई है। उन्होंने छात्रों के इस प्रयास को लेकर एक वीडियो भी साझा किया है, जिसे सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है। लोग उनके प्रयास को सराह रहे हैं। आशीष डंगवाल पिछले साल उत्तरकाशी में शानदार विदाई पाकर सुर्खियों में आए थे। भंकोली में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए उन्होंने मन से कोशिशें कीं और उनकी इसी कोशिश ने लोगों के दिलों को छू लिया। आगे देखिए वीडियो

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तीन साल गांव के सरकारी स्कूल में सेवा देकर जब वो जाने लगे तो छात्र बिलख-बिलख कर रो पड़े। वो शिक्षक से लिपट कर उनसे ना जाने की गुहार लगा रहे थे। हम सभी जानते हैं कि सिस्टम की नाकामी के चलते आज सरकारी स्कूल हाशिए पर चले गए हैं, सैकड़ों स्कूलों पर ताला लटका है, पर आशीष डंगवाल जैसे शिक्षक बदहाली के इस दौर में भी बेहतरी की उम्मीद जगा रहे हैं।

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