उत्तराखंड अल्मोड़ाHearing in the Supreme Court on fire in the forests of Uttarakhand

उत्तराखंड में धधकते जंगल..अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला, अगले हफ्ते अहम सुनवाई

कभी अल्मोड़ा, कभी बागेश्वर तो कभी पिथौरागढ़। जंगल की आग थमने का नाम नहीं ले रही। अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है।

Uttarakhand forests fire: Hearing in the Supreme Court on fire in the forests of Uttarakhand
Image: Hearing in the Supreme Court on fire in the forests of Uttarakhand (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: उत्तराखंड समेत पूरा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड की चपेट में है। एक तरफ पहाड़ में बारिश-बर्फबारी हो रही है तो वहीं दूसरी तरफ पहाड़ के जंगल लगातार धधक रहे हैं। कभी अल्मोड़ा, कभी बागेश्वर तो कभी पिथौरागढ़। जंगल की आग थमने का नाम नहीं ले रही। अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। जंगल की आग से पशु-पक्षियों को बचाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें वन्यजीवों को सुरक्षा देने की मांग की गई। याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई होनी है। याचिका में उत्तराखंड में आग से जंगलों को बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई। याचिकाकर्ता अधिवक्ता रितुपर्ण उनियाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमें वनों में लगने वाली आग पर चिंता जताई गई। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष पेश याचिका में जंगल में रहने वाले सभी पशु-पक्षियों को कानूनी दर्जा प्रदान करने की मांग की गई, जिससे उनकी सुरक्षा और सुविधा के लिए सरकार वचनबद्ध हो सके। याचिकाकर्ता ने आग से वनस्पति, वन्यजीवों और पक्षियों के बचाव के लिए पर्यावरण मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के लिए अविलंब दिशा निर्देश जारी करने की मांग की।आगे पढ़िए

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वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि नैनीताल हाईकोर्ट ने जंगल की आग के संबंध में साल 2016 में आदेश पारित किया है, लेकिन वो प्रभावी नहीं हो सका। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका हाईकोर्ट में लंबित है। याचिकाकर्ता ने उत्तराखंड में आग से बचाव के लिए अग्रिम व्यवस्था बनाने और जंगल को बचाने के लिए नीति बनाए जाने की मांग की। इस पर पीठ ने मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई करने की बात कही है। आपको बता दें कि उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक वन विभाग का फायर सीजन होता है। विभाग इसकी तैयारियों में जनवरी से ही जुट जाता है, लेकिन इस बार कड़ाके की ठंड में ही जंगल आग की भेंट चढ़ने लगे। अक्टूबर और नवंबर से अब तक पहाड़ के जंगल धधक रहे हैं। अफसरों की मानें तो तीन महीने में 222 बार आग की घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे 311.57 हेक्टेयर में फैला जंगल जल गया। आग लगने से 5600 पेड़ राख हो गए। जंगलों में आग लगने से करीब एक करोड़ रुपये के आस-पास नुकसान हुआ है।