उत्तराखंड ऋषिकेशElectro Magnetic Survey of Char Dham Rail Network in Uttarakhand

उत्तराखंड: दुनिया के लिए मिसाल बनेगा चार धाम रेल नेटवर्क..शुरू हुआ इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे

राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान की टीम श्रीनगर पहुंच कर अपने काम में जुट गई है। टीम हवाई मार्ग से रेलवे लाइन का हेली बॉर्न ट्राजेन्ट इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे कर रही है।

Char Dham Rail Network Uttarakhand: Electro Magnetic Survey of Char Dham Rail Network in Uttarakhand
Image: Electro Magnetic Survey of Char Dham Rail Network in Uttarakhand (Source: Social Media)

ऋषिकेश: केंद्र की मदद से उत्तराखंड के चारधाम रेल परियोजना से जुड़ने जा रहे हैं। परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन प्रोजेक्ट आकार लेने लगा है। सबकुछ ठीक रहा तो साल 2024-25 तक उत्तराखंड के पहाड़ों में ट्रेन की छुक-छुक सुनाई देने लगेगी। इन दिनों ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे किया जा रहा है। जिसके लिए CSIR की टीम श्रीनगर आई है। राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान की टीम श्रीनगर पहुंच कर अपने काम में जुट गई है। ये टीम हवाई मार्ग से रेलवे लाइन का हेली बॉर्न ट्राजेन्ट इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सर्वे कर रही है। टीम हेलीकॉप्टर की मदद से पहाड़ियों की इलेक्ट्रो मैग्नेटिव मैपिंग कर रही है। इलेक्ट्रो मैग्नेटिक मैपिंग की जरूरत क्यों पड़ती है, आपको इस बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। दरअसल इस सर्वे के दौरान ये देखा जा रहा है कि पहाड़ियां कितनी मजबूत हैं। कहीं इनमें कोई छेद या दरार तो नहीं है। विशेषज्ञों की टीम उन जगहों का सर्वे कर रही है, जहां रेलवे लाइन की टनल बनाई जानी हैं।

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सर्वे के दौरान सभी चीजों की मैपिंग कर के इसकी जानकारी रेलवे को भेजी जाएगी। सर्वे का काम श्रीनगर से संचालित हो रहा है। जो कि ऋषिकेश से लेकर कर्णप्रयाग तक किया जाना है। विशेषज्ञों ने बताया कि सर्वे में मशीन के जरिये मेग्नेटिव फील्ड तैयार किया जाता है। जिसका डाटा एकत्र कर उसका जियोलॉजिकल विश्लेषण किया जाता है। इन सभी जानकारियों को रेलवे विकास निगम को भेजा जाएगा। इसी सर्वे के आधार पर ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण किया जाना है। सर्वे के लिए विदेश से लाई गई हेली बॉर्न ट्राजेन्ट इलेक्ट्रो मैग्नेटिक सिस्टम की मदद ली जा रही है। आपको बता दें कि ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच बन रही रेलवे लाइन 125 किलोमीटर लंबी होगी। इसका 80 फीसदी हिस्सा टनल के अंदर है। श्रीनगर के पास कई जगहों पर टनल बनाने का काम चल रहा है। जिसके लिए अत्याधुनिक रोबोटिक मशीनों की मदद ली जा रही है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना भारतीय रेल की सबसे महत्वाकांक्षी रेल परियोजना है। प्रोजेक्ट का काम साल 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।