उत्तराखंड उत्तरकाशीHimalayan grendala found in uttarkashi

उत्तराखंड में नजर आया ये दुर्लभ पक्षी.. दुनिया भर के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर

उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी इन दिनों रंग-बिरंगे अनोखे प्रजाति वाले पक्षियों का ठिकाना बनी हुई है।

Uttarkashi news: Himalayan grendala found in uttarkashi
Image: Himalayan grendala found in uttarkashi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में उच्च हिमालयी क्षेत्र में आने वाली हर्षिल घाटी इन दिनों आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। रंग-बिरंगे पक्षियों की चहचहाहट से यह घाटी सभी लोगों का मन मोह रही है। खास बात यह है कि घाटी में हिमाली ग्रैंडाला जैसे परिंदे भी नजर आ रहे हैं। यह वही अनोखी प्रजाति है जिन को देखने के लिए देश-विदेश के पक्षी प्रेमी सिक्किम जाते हैं। जी हां, हिमालयी ग्रैंडाला जैसे परिंदे सिक्किम में पाए जाते हैं मगर अब उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी भी हिमाली ग्रैंडाला के कलरव से गुंजायमान है। यह उन लोगों के लिए अच्छी खबर है जिनको बर्ड वाचिंग का शौक है और वे तरह-तरह के पक्षियों की जानकारी रखना पसंद करते हैं। शीतकाल में बर्ड वाचिंग को प्रोत्साहित करने के लिए हर्षिल घाटी पहुंचे एवीयन ट्रेल्स कंपनी के राजेश पंवार ने कहा कि झाड़ियों में उनको हिमाली ग्रैंडाला कि कई झुंड दिखाई दिए हैं

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड में मिली सदियों पुरानी सुरंग.. कलाकृतियां देख हर कोई हैरान
आपको बता दें कि वन विभाग में घाटी के 8 गांव में बर्ड वाचिंग को स्वरोजगार से जोड़ने की मुहिम चालू की है और आजकल घाटी में मोनाली, हिमालयी गिद्ध, व्हाइट चीक्ड नटचट, कर्णभेदी समेत कई परिंदे आसानी से देखे जा रहे हैं और इन खूबसूरत परिंदों का दीदार करने पर्यटक हर्षिल घाटी पहुंच रहे हैं। वन विभाग द्वारा आसपास के 8 गांव को बर्ड वाचिंग के स्वरोजगार से जोड़ने के बाद कई लोग वर्ड वाचिंग के लिए पहुंच रहे हैं। वन विभाग की ओर से बर्ड वाचिंग से जुड़े फोटोग्राफर राजेश पंवार भी हर्षिल घाटी पहुंचे। राजेश पंवार का कहना है कि घाटी में हर्षिल, बगोरी, मुखवा, धराली, पुरोली, झाला, जसपुर व सुक्की गांव के पास कई तरह के पक्षियों का दीदार हुआ। लेकिन, हिमाली ग्रैंडाला, व्हाइट थ्रोटेड बुशिट व व्हाइट चीक्ड नटचट यहां पहली बार नजर आए। परिदों की ये तीनों प्रजाति पक्षी प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होंगी। वहीं प्रमुख वन संरक्षण उत्तराखंड राजीव भरतरी का कहना है कि शीतकाल के दौरान उच्च हिमालई क्षेत्र के वन्यजीव एवं परिंदे निचले इलाकों में आ जाते हैं। ऐसे में इन वन्यजीवों के दर्शन करना बेहद आसान हो जाता है।