चमोली: चमोली के रैणी गांव में आपदा के 9 दिन बाद भी चारों तरफ तबाही के निशान बिखरे हैं। आपदा के बाद से सैकड़ों लोग लापता हैं। जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है, लापता लोगों के परिजनों का सब्र जवाब देने लगा है। अपनों की तलाश में लोग दूर-दूर से चमोली पहुंच कर स्वजनों की तलाश में जुटे हैं। इन लोगों में कश्मीर के रहने वाले सालिक जरगर भी शामिल हैं। सालिक अपने पिता बशारत जरगर को ढूंढने के लिए रैणी गांव आए हैं। सालिक को पूरी उम्मीद है कि आज नहीं तो कल उसके पिता जरूर मिलेंगे। सालिक के पिता बशारत जरगर तपोवन परियोजना में जनरल मैनेजर के तौर पर कार्यरत थे। वो मूलरूप से कश्मीर के श्रीनगर के रहने वाले हैं। उनका परिवार दिल्ली में भी रहता है। बशारत जरगर पिछले हफ्ते ही बतौर जनरल मैनेजर अपनी ड्यूटी करने के लिए ऋषिगंगा परियोजना क्षेत्र में पहुंचे थे। 7 फरवरी को जब चमोली में तबाही का सैलाब आया तो दूसरे कई लोगों के साथ बशारत भी लापता हो गए। तबाही की खबर मिलने के बाद उनके परिजन बेहद परेशान हो गए। बेटे सालिक से जब रहा नहीं गया तो वो मंगलवार की सुबह खुद चमोली पहुंच गया। तब से सालिक अपने पिता की तलाश में जुटे हैं।
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सालिक बताते हैं कि घटना के दिन उनकी सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर अपने पिता से बात हुई थी, लेकिन आपदा के बाद से उनका कुछ पता नहीं चला। उनके पिता की आखिरी मोबाइल लोकेशन रैणी गांव में मिली है। मन में ढेर सारे सवाल और आँखों में आंसू लिए सालिक कहते हैं कि घर पर उनकी मां और बहन बशारत के लिए फिक्रमंद हैं। उन्हें उम्मीद है कि बशारत सही सलामत घर लौटेंगे। सालिक की तरह दूसरे कई लोगों को भी अपनों के घर लौटने का इंतजार है। 7 फरवरी को आई आपदा के बाद से अब तक 55 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक आपदा के बाद जितने शव मिले हैं उनमें से 29 शवों की पहचान कर ली गई है। 25 शवों की पहचान अभी नहीं की जा सकी है।