उत्तराखंड टिहरी गढ़वालConversion in uttarakhand

देवभूमि में धर्म परिवर्तन का सैलाब..सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई वीडियो वायरल

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक सैलाब आया हुआ है। उत्तराखण्ड में धर्म परिवर्तन के वीडियो का सैलाब।

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Image: Conversion in uttarakhand (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: कुछ दिन पहले विनोद कुमार नाम का व्यक्ति अपने फेसबुक पेज ‘APOSTLE VINOD KUMAR’ पर एक वीडियो डालता है जिसमें वह किसी परिवार को जन्म पत्रिका जलाने के लिए प्रेरित करता है और हिन्दू धर्म के खिलाफ बोलते हुए एक विशेष धर्म में आस्था रखने के लिए कहता है। यानि ये सीधा-सीधा धर्मांतरण का मुद्दा है। जब यह मुद्दा उछला तो लोगों के कान खड़े हो गए हैं। इस प्रकरण को सिर्फ़ धर्म परिवर्तन की दृष्टि से देखकर हल्के में नहीं लिया जा सकता है। इसे सिलसिलेवार अलग-अलग कोणों से जांचना होगा।
1.उत्तराखण्ड एक ऐसा राज्य है जो काफ़ी संवेदनशील है। जिसकी गढ़वाल मण्डल की सीमाएं चीन जैसे पड़ोसी देश से मिलती है तो कुमाऊं मण्डल की सीमाएं नेपाल से। उत्तराखण्ड के सीमांत गांव पलायन की मार झेलते हुए खाली हो चुके हैं। जो देश की सुरक्षा की दृष्टि से एक बहुत बड़ा प्रश्न है। ऐसे हालात में एक विशेष धर्म का उत्तराखण्ड में सक्रिय होना यहां के लिए भविष्य की एक चुनौती बन सकता है। आने वाले वक्त में यही गतिविधियां जब बहुत अधिक सक्रियता से बढ़ेंगी तो चीन से लगी सीमाएं भारत के लिए असुरक्षित हो जाएंगी। क्योंकि सीमांत क्षेत्र में बचे खुचे लोगों को ऐसे लोग बहुत जल्दी अपने टारगेट पर ले लेंगी।
2. विनोद कुमार नाम के व्यक्ति का फेसबुक पेज खंगालने पर पता चलता है कि इस के तार नेपाल के उन लोगों से भी जुड़े हैं जिनका धर्मांतरण करवाया गया है। यानि सब कुछ सुनियोजित है। इसका मकसद कुमाऊँ के सीमांत गांवों में भी धर्मांतरण की लौ जगाने की मंशा है। हो सकता है कि अभी गुप्त रूप में वहां इसका मिशन चल भी रहा हो, कुछ कहा नहीं जा सकता। यानि पूरा उत्तराखण्ड धर्मांतरण की ओर है। आगे पढ़िए

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3. अब चिंता का विषय ये है कि ऐसे वक्त पर ये प्रकरण आया है जब प्रदेश में असमय आपदा आयी हुई हो। सत्तासीन सरकार से जनता नाखुश हो । कुछ नए दल अपनी राजनीतिक दाल गलाने की जुगत में हों और विधान सभा चुनाव नज़दीक हों।
4. चिंता का विषय तो ये भी है कि एक बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन हो जाता है और प्रदेश सरकार को कानों कान ख़बर भी नहीं होती है। अगर राज्य में इंटेलीजेंस इतना कमज़ोर है तो क्या ये समझा जाएं कि राज्य की सीमाएं सूचना के अभाव में असुरक्षित हैं? उत्तराखण्ड जिसे सहस्र वर्षों से देवभूमि के नाम से जाना जाता है। जहां चार धाम स्थित हैं। वहां धर्म परिवर्तन की लहर चार धामों के अस्तित्व को खतरे में डालता है। ये अचानक हुआ हो यह मुमकिन नहीं। ये सिर्फ़ एक विनोद कुमार नाम के व्यक्ति का दुस्साहस हो ऐसा भी नहीं लगता। इसमें किसी विदेशी ताकतों का हाथ होना भी माना जा सकता है या फ़िर राजनीतिक पार्टियों की वोटों के ध्रुवीकरण की साज़िश भी हो सकती है।
आजकल सभी बड़ी पार्टियां मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में पारंगत है। तो कहीं ये धर्मांतरण किसी राजनीति का हिस्सा तो नहीं? कुछ भी कहें ये किसी एक व्यक्ति या संस्था की गलती नहीं बल्कि पूरे समाज की गलती है। इसलिए समाज से भी सवाल पूछ लिया जाना चाहिए कि आखिर उत्तराखण्ड जैसी देवभूमि में ऐसा दुस्साहस क्यों?