चम्पावत: उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा किसी से भी छिप नहीं पाई है। आए दिन अस्पतालों में डॉक्टरों द्वारा मरीजों के साथ लापरवाही की जा रही है। जहां एक ओर चिकित्सकों को भगवान का दर्जा मिलता है तो वहीं कुछ चिकित्सकों द्वारा मानवता को लगातार शर्मसार किया जा रहा है। ऐसा ही कुछ चंपावत जिले में देखने को मिला। जिले के सबसे बड़े अस्पताल ने असंवेदनशीलता की सभी हदों को पार कर दिया है। डॉक्टर को साक्षात भगवान का दर्जा दिया जाता है। मगर चंपावत में एक महिला डॉक्टर ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है और उसने एक प्रसव पीड़ा से जूझती गर्भवती महिला को बगैर देखे और बिना अस्पताल आए ही फोन पर हायर सेंटर रेफर कर दिया है। जिस महिलाओं के साथ डॉक्टर द्वारा बर्ताव किया गया वह महिला प्रसव पीड़ा के असहनीय दर्द से गुजर रही थी। आगे पढ़िए
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एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक प्रसव पीड़िता महिला लोहाघाट के एक गांव से तकरीबन 11 बजे जिला अस्पताल पहुंची थी। जब डॉक्टर ने अपनी नर्स ने डॉक्टर को सूचित किया तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए महिला को बिना देखे और उसका बिना चेकअप किए ही घर बैठे हुए फोन से उसको हायर सेंटर रेफर कर दिया। वहीं महिला को हल्द्वानी ले जाने की बजाय परिजन उसको वापस लोहाघाट के एक निजी अस्पताल में ले गए जहां पर महिला ने एक नवजात शिशु को जन्म दिया। इस बीच महिला को अस्पतालों के काफी चक्कर काटने पड़े। वहीं इस पूरे मामले के संज्ञान में आने के बाद डीएम ने सख्त जांच के निर्देश दे दिए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक गर्भवती महिला चंपा चतुर्वेदी को हाल ही में प्रसव पीड़ा हुई जिसके बाद उसके परिजन मंगलवार की रात को उसको लोहाघाट के उप जिला अस्पताल में लेकर गए जहां से गर्भवती महिला को जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जब महिला जिला अस्पताल पहुंची तो अस्पताल में मौजूद स्टाफ नर्स ने महिला को देखा और फोन पर डॉक्टर को गर्भवती महिला की जानकारी दी। इसके बाद डॉक्टर ने किसी पारिवारिक वजह से अस्पताल आने से इंकार कर दिया और उसने महिला के बढ़ते बीपी के चलते महिला को फोन पर ही हायर सेंटर रेफर कर दिया
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प्रसव पीड़ा से जूझती गर्भवती को जब डॉक्टर ने देखने से मना कर दिया और अस्पताल आने से साफ इंकार कर दिया उसके बाद चंपा चतुर्वेदी के परिजन उसको हायर सेंटर ले जाने की बजाय फिर से लोहाघाट के एक निजी अस्पताल में ले गए जहां पर बीते बुधवार को चंपा ने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। मगर दोनों में से किसी को भी कुछ हो जाता और अगर कोई अनहोनी घट जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होता। सवाल यह है कि क्या डॉक्टरों की ऐसी लापरवाही नजरअंदाज करना ठीक है। वह इस पूरे मामले में डॉक्टर का कहना है कि वह किसी पारिवारिक वजह से अस्पताल में नहीं पहुंच पाई और उसने फोन पर ही गर्भवती को उचित परामर्श दे दिया। वहीं जिला अस्पताल के बीएमएस डॉक्टर आरके जोशी ने बताया कि मामले की गहराई से जांच पड़ताल की जा रही है। चंपावत के डीएम विनय तोमर का कहना है यह मामला बेहद गंभीर है और रात में महिला को इलाज ना मिलना बेहद शर्मनाक भी है। इस पूरे मामले में सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी और इसमें अस्पताल की सीसीटीवी की मदद भी ली जा रही है। डीएम विनय तोमर का कहना है कि जांच की रिपोर्ट आने के बाद सख्त कार्यवाही भी की जाएगी।