उत्तराखंड देहरादूनCabinet expansion may b soon in uttarakhand

उत्तराखंड में एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा, इन नये चेहरों को मिल सकती है जगह

मंत्रिमंडल के गठन के वक्त तीरथ सिंह रावत को क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना होगा। सीनियर नेताओं को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

Uttarakhand cabinet: Cabinet expansion may b soon in uttarakhand
Image: Cabinet expansion may b soon in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब मंत्रिमंडल का गठन होना है। नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर विधायकों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ विधायकों को जहां मंत्री बनने का सपना साकार होता नजर आ रहा है, तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें हाशिए पर धकेल दिए जाने का डर सता रहा है। इस डर की एक वजह भी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कुछ विधायकों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। इस बार मंत्रिमंडल में कुछ नए चेहरे नजर आएंगे। मंत्रिमंडल में सीएम समेत कुल मिलाकर 12 लोग शामिल होंगे। त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में 3 पद सालों तक खाली रहे, इन्हें भी जल्द भरा जाएगा। इस तरह तीन नए मंत्री बनेंगे। इसके अलावा आठ पुराने मंत्रियों में से कुछ ड्रॉप भी हो सकते हैं। नए मंत्रिमंडल के वो नए चेहरे कौन होंगे, इस पर अभी सस्पेंस बरकरार है। मंत्रिमंडल के गठन के वक्त तीरथ सिंह रावत को क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना होगा।

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त्रिवेंद्र सरकार में उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर, नैनीताल, पिथौरागढ़, चंपावत और चमोली से कोई मंत्री नहीं था। ऐसे में यहां के प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा जाएगा। जिन सीनियर नेताओं को त्रिवेंद्र सरकार में तरजीह नहीं मिली, उन्हें तीरथ मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। ऐसे नेताओं में बिशन सिंह चुफाल का नाम सबसे आगे है। वो डीडीहाट से लगातार 5 बार विधायक रह चुके हैं। बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास, बलवंत भौर्याल, चंद्रा पंत और ऋतु खंडूड़ी को भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं हैं। पुराने मंत्रियों को ड्रॉप किए जाने पर भी विचार चल रहा है। जो लोग उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं, उनके ऊपर गाज गिर सकती है। जिन विभागों को लेकर विवाद रहे, उन पर भी तलवार लटकी रहेगी। बहरहाल मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कैबिनेट गठन का मसला केंद्रीय नेतृत्व के पाले में सरका दिया है। जिसे कैबिनेट को लेकर असंतोष से बचने की कोशिश माना जा रहा है।