उत्तराखंड देहरादूनCoronavirus in Dehradun woman torturing on the road

देहरादून में कोरोना का ऐसा खौफ? सड़क पर तड़पती रही महिला..मूकदर्शक बने स्वास्थ्य कर्मी

देहरादून की ये घटना देख लगता है मानों इंसानियत खत्म हो गई। बीमार महिला अस्पताल के सामने दर्द से तड़पती रही, लेकिन कोरोना के डर से स्वास्थ्यकर्मियों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया।

Dehradun Coronavirus: Coronavirus in Dehradun woman torturing on the road
Image: Coronavirus in Dehradun woman torturing on the road (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना के डर से लोग इंसानियत भूलते जा रहे हैं। महामारी के बढ़ते आंकड़ों के बीच ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जो इंसानियत को शर्मसार कर रहे हैं। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। ईटीवी की खबर के मुताबिक यहां दून अस्पताल में इलाज के लिए लाई गई एक बीमार महिला इमरजेंसी वॉर्ड के सामने फर्श पर गिर गई, लेकिन कोरोना के डर से महिला की मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। हद तो तब हो गई, जब अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मी भी तमाशबीन बनकर महिला को तड़पते देखते रहे, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। बाद में महिला के परिजन किसी तरह उसे इलाज के लिए अस्पताल के भीतर ले गए। एक तरफ प्रदेश में कोरोना संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं तो वहीं प्रदेश के सबसे बड़े दून अस्पताल में अव्यवस्थाएं चरम पर हैं। कोरोना के डर से स्वास्थ्यकर्मी संवेदनहीन बनते जा रहे हैं।

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मंगलवार को दून के कोविड-19 अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों ने बीमार महिला के साथ जो सलूक किया, वो सच में डराने वाला था। यहां दून अस्पताल की इमरजेंसी में एंबुलेंस के माध्यम से एक महिला को लाया गया था। जब महिला को एंबुलेंस से उतारा गया, तभी महिला इमरजेंसी के सामने फर्श पर लड़खड़ा कर गिर गई। महिला फर्श पर पड़ी-पड़ी कराहती रही, लेकिन कोरोना के डर से स्वास्थ्यकर्मियों ने उसे हाथ तक नहीं लगाया। हर कोई तमाशबीन बनकर महिला को कराहते हुए देखता रहा। बाद में महिला के परिजनों ने किसी तरह से महिला को इमरजेंसी तक पहुंचाया। बता दें कि दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय कोविड और नॉन कोविड रूप में संचालित किया जा रहा है, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं ढर्रे पर नहीं आ रहीं। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट एक महीने की छुट्टी पर चल रहे हैं। वहीं मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. केसी पंत कोरोना संक्रमित हैं। जब राजधानी के सबसे बड़े हॉस्पिटल का ये हाल है तो जरा सोचिए पहाड़ी जिलों के अस्पतालों के क्या हाल होंगे। यहां मरीजों को किस कदर स्वास्थ्यकर्मियों की बेरुखी का सामना करना पड़ रहा होगा। यह इंसानियत नहीं है।