उत्तराखंड उत्तरकाशीRethi Devi scorched in Uttarkashi forest fire

गढ़वाल: धन्य हैं 86 साल की रेठी देवी..जंगल की आग बुझाते बुझाते 40 फीसदी झुलसी

86 वर्ष की उम्र में भी जंगल में लगी भीषण आग बुझाती रहीं उत्तरकाशी की रेठी देवी। स्टोरी एवं फोटो साभार- न्यूज हाइट डॉट कॉम

Uttarkashi News: Rethi Devi scorched in Uttarkashi forest fire
Image: Rethi Devi scorched in Uttarkashi forest fire (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड के ऊपर एक के बाद एक मुसीबतों का पहाड़ टूट रहा है। एक ओर कोरोना के बढ़ते संक्रमण की चिंता तो वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग। वहीं आग जो तेजी से फैल रही है और अब तक करोड़ों की वन संपदा को नष्ट कर चुकी है। न जाने कितने ही जंगल इस आग की जद में आ चुके हैं और बर्बाद हो चुके हैं। कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक पहाड़ों के जंगलों में आग ने भयावह रूप ले लिया है और जंगल के जंगल नष्ट हो चुके हैं। इससे ना केवल पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है, पेड़ जलकर राख हो चुके हैं बल्कि जंगली जानवरों का घर भी उजड़ रहा है। जनजीवन भी जंगलों में लगी आग से बुरी तरह तबाह हो रहा है। आग मानव बस्तियों तक पहुंच रही है और उत्तराखंड में अब तक कई घरों को जंगलों की आग अपनी चपेट में ले चुकी है। मगर कहते हैं न कि मुसीबत आती है तो उसका सामना करने की हिम्मत भी खुद ब खुद आ ही जाती है। उत्तराखंड के ऊपर आई मुसीबत में पहाड़ के कई लोग सामने आए हैं और उन्होंने जंगलों की आग को बुझाने का प्रयास किया है। आज हम आपका परिचय उत्तरकाशी की एक ऐसी ही बुजुर्ग महिला से करवाने जा रहे हैं जिन्होंने 86 वर्ष की उम्र में भी अपने गांव में लगी जंगलों की आग को अकेले ही बुझाने का फैसला लिया।

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आग बुझाने की इस जद्दोजहद में उनका शरीर 40 फीसदी तक जल गया है और वे इस समय हॉस्पिटल में भर्ती हैं। वाकई हिम्मत और जज्बे की कोई उम्र नहीं होती। हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी जिले की 86 वर्षीय श्रीमती रेठी देवी की जोकि ग्राम उपला दियोरा की निवासी हैं। उत्तरकाशी के इस गांव के जंगल भी आग की चपेट में आ रखे और यहां के जंगलों में भी भीषण आग लग रखी है। हाल ही में सुबह तकरीबन 10 बजे जंगलों में लगी आग गांव तक पहुंच गई और मवेशियों का चारा और घास इत्यादि आग की चपेट में आ गए। इसके बाद गांव में कोहराम मच गया जंगलों में लगी भीषण आग को बुझाने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ। तब 86 वर्षीय महिला रेठी देवी ने आग को बुझाने की ठानी और वह आग को बुझाने के लिए जंगलों की ओर निकल पड़ीं। यदि उन्होंने समय रहते हिम्मत नहीं की होती तो यह आग गांव तक पहुंच जाती और जनजीवन को भारी नुकसान हो जाता।

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आग बुझाने के दौरान उनका शरीर जलता रहा मगर वह रुकी नहीं और लगातार आग को बुझाती रहीं। उनका हौसला कायम रहा और उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आग की तेज लपटें तक 86 वर्षीय रेठी देवी के आत्मविश्वास का बाल भी बांका नहीं कर पाईं। आग बुझाने के दौरान उनका शरीर 40% तक झुलस गया। वह इस समय अस्पताल में भर्ती हैं। बता दें कि प्रशासन की तरफ से उनको उचित उपचार नहीं मिला। इसके बाद ग्रामीणों द्वारा ही उनको उपचार के लिए उत्तरकाशी के जिला अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल ले जाने के बाद उनकी हालत गंभीर बताई गई और उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उनको देहरादून रेफर कर दिया गया। देहरादून में उनका इलाज कैलाश अस्पताल के आईसीयू में चल रहा है जहां वे जिंदगी और मौत के बीच में जूझ रही हैं। आपको बता दें कि रेठी देवी के पति सीताराम रतूड़ी कुछ सालों पहले ही गुजर चुके हैं और उनके पुत्र का निधन भी कुछ समय पहले ही हुआ है। रेठी देवी गांव में अकेली रहती हैं और ग्रामीणों के प्रयास से उनका उपचार देहरादून में चल रहा है।