उत्तराखंड उधमसिंह नगरUdham Singh Nagar Teacher Arun Chugh

उत्तराखंड: कोरोना में उम्मीद की किरण बने ये गुरुजी..अब तक कर चुके 20 शवों का अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमितों को पराए तो क्या अपने भी अलग-थलग कर देते हैं। कई बार तो परिजन अस्पताल में शव लेने तक नहीं पहुंचते। ऐसे बुरे वक्त में अरुण चुघ जैसे लोग उम्मीद की किरण सरीखे हैं।

Udham Singh Nagar News: Udham Singh Nagar Teacher Arun Chugh
Image: Udham Singh Nagar Teacher Arun Chugh (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: कोरोना के बढ़ते कहर के बीच लोग अलग-अलग तरह से पीड़ितों की मदद कर रहे हैं। कोई सोशल मीडिया के जरिए बेड की उपलब्धता की जानकारी दे रहा है, तो कोई कोविड-19 से जूझ रहे मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर रहा है। कोरोना महामारी से इस जंग में उत्तराखंड के एक हेड मास्टर ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। रुद्रपुर के हेड मास्टर अरुण चुघ ने कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया है। अब तक वह 20 शवों का अंतिम संस्कार टीम के साथ मिलकर कर चुके हैं। कोरोना काल में स्कूल बंद हैं। ऐसे में रुद्रपुर में रहने वाले अरुण अपना शिक्षक धर्म न सही, लेकिन मानव सेवा का धर्म जरूर निभा रहे हैं। शिक्षक अरुण चुघ अपनी टीम के साथ मिलकर अब तक कई कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं। सिटी वन कॉलोनी निवासी अरुण चुघ राजकीय प्राथमिक विद्यालय मोतीपुर में हेड मास्टर हैं। वो शहीद भगत सिंह सेवा दल से जुड़े हैं।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: कुंभ मेले के बाद से अब तक 9 संतों की मौत, 600 से ज्यादा संत पॉजिटिव
इस दल के माध्यम से वो किच्छा रोड स्थित श्मशान घाट में पहुंच कर कोरोना संक्रमितों के शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कोरोना काल में हम दिल को झकझोर देने वाली कई कहानियां सुन चुके हैं। कोरोना संक्रमितों को पराए तो क्या अपने भी अलग-थलग कर देते हैं। कई बार तो अस्पताल में कोई शव लेने तक नहीं पहुंचता। ऐसे बुरे वक्त में अरुण चुघ जैसे लोग उम्मीद की किरण सरीखे हैं। अरुण बताते हैं कि कोरोना काल में खाना तो सभी लोग बांट रहे हैं, लेकिन हम कोरोना से मरने वाले लोगों को सम्मानजनक विदाई देना चाहते थे। कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार करने के लिए कई बार परिजन भी आगे नहीं आते, इसलिए हमने ये काम शुरू किया। अरुण किच्छा हाईवे स्थित श्मशान घाट में अपनी टीम के साथ सुबह सात बजे पहुंच जाते हैं और शाम को आठ बजे घर जाते हैं। वो शहीद भगत सिंह सेवा दल टीम के साथ मिलकर कोरोना संक्रमितों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।