उत्तराखंड चमोलीFreedom fighter of Chamoli district Bakhtawar Singh dies

गढ़वाल: नहीं रहे स्वतंत्रता सेनानी बख्तावर सिंह बिष्ट..जानिए उनकी शौर्यगाथा

उत्तराखंड के 104 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी बख्तावर सिंह के निधन के बाद आज सीमांत जनपद चमोली के गौचर में पुलिस द्वारा राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

Freedom Fighter Bakhtawar Singh: Freedom fighter of Chamoli district Bakhtawar Singh dies
Image: Freedom fighter of Chamoli district Bakhtawar Singh dies (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड से एक बेहद बुरी खबर सामने आ रही है। उत्तराखंड के जांबाज स्वतंत्रता सेनानी बख्तावर सिंह ने बीते शनिवार को देह त्याग दी है। आज सीमांत जनपद चमोली में उनका अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बख्तावर सिंह की उम्र 104 वर्ष थी और बीते शनिवार को उन्होंने चमोली के गौचर में अंतिम सांसे लीं। उनका अंतिम संस्कार आज कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करते हुए उनके पैतृक घाट धारीनगर स्थित अलकनंदा नदी तट पर पूरे सम्मान के साथ किया गया। पुलिस जवानों ने थाना अध्यक्ष गिरीश चंद्र शर्मा के नेतृत्व में उनको सलामी के साथ श्रद्धांजलि दी। बता दें कि उत्तराखंड के 104 वर्ष के बख्तावर सिंह 1940 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वे उन स्वतंत्रता सैनानियों में से एक थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका अदा की थी।

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स्वतंत्रता सेनानी बख्तावर सिंह अपनी बेटी कमला बिष्ट एवं दामाद सुरेंद्र सिंह के साथ रह रहे थे। उनके निधन की सूचना उनके परिजनों ने तहसील कर्णप्रयाग प्रशासन को दी जिसके बाद जिलाधिकारी वैभव गुप्ता, तहसीलदार सोहन सिंह, थाना अध्यक्ष गिरीश चंद्र शर्मा उनके आवास पर पहुंचे और कोविड की गाइडलाइंस का पालन करते हुए पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक घाट धारीनगर में स्थित अलकनंदा नदी में किया गया। बख्तावर सिंह 1940 में सेना में भर्ती हुए थे। वे सेना में भर्ती होने के बाद आजाद हिंद फौज में शामिल हुए थे और उसके बाद उन्होंने देश की आजादी के लिए संग्राम में हिस्सा लिया था। वे 1 वर्ष के लिए कोलकाता की जेल में भी गए थे और 1 वर्ष तक जेल की सजा काटने के बाद उनको 1946 में सेना से बाहर कर दिया गया।

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भारत की आजादी के बाद वे पीसीएस में भर्ती हुए और 1974 में सेवानिवृत्त हुए। सेवानिवृत्त होने से लेकर अबतक वे गौचर में अपनी बेटी और दामाद के साथ रहते थे। उनकी 3 पुत्रियां हैं और उनकी अंतिम यात्रा में थानाध्यक्ष कर्णप्रयाग गिरीश चंद्र शर्मा, उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग वैभव गुप्ता, तहसीलदार सोहन सिंह रांगड़, नवीन चमोला, मुकेश नेगी सहित पुलिस जवान एवं उनके परिजन मौजूद रहे। उनके पैतृक घाट पर गौचर एवं कर्णप्रयाग के पुलिस जवानों की टीम ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को अंतिम पुष्कचक्र अर्पित किया और राजकीय सम्मान के साथ उनको विदाई दी। उनकी चिता को भतीजे रघुवीर सिंह, नाती योगंबर एवं दिगंबर सिंह ने मुखाग्नि दी।