उत्तराखंड पिथौरागढ़Doctor saves corona positive patient in Pithoragarh

उत्तराखंड: डॉक्टर ने ड्राइवर बनकर बचाई कोरोना मरीज की जान..ऐसे लोगों पर गर्व है

नर्सिंग ऑफिसर मनोज ने देर रात कोरोना पीड़ित की हालत बिगड़ने के बाद एम्बुलेंस चालक की गैर उपस्थिति में एम्बुलेंस की स्टेयरिंग व्हील थामी।

Pithoragarh Doctor: Doctor saves corona positive patient in Pithoragarh
Image: Doctor saves corona positive patient in Pithoragarh (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: राज्य में जब से कोरोना वायरस ने दस्तक दी है तब से ही हमारे स्वास्थ्य कर्मी दिन-रात संक्रमित मरीजों की सेवा कर रहे हैं। दिन-रात ड्यूटी करने वाले हमारे कोरोना वॉरियर्स इंसानियत की जीती-जागती मिसाल हैं। अपने परिवार वालों को भूलकर राज्य के स्वास्थ्य कर्मी लगातार अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। राज्य में मुसीबत के दस्तक देने के बाद से अपने परिवार के साथ हम तो घर पर सुरक्षित हैं मगर राज्य के कोरोना वॉरियर्स अपना फर्ज निभा कर यह साबित कर रहे हैं कि दूसरों की सेवा करना ही उनका धर्म है। कोरोना से जूझ रहे उत्तराखंड को यहां के स्वास्थ्य कर्मी उम्मीद दे रहे हैं और अपना फर्ज निभा रहे हैं। न केवल वे मरीजों का उपचार कर रहे हैं बल्कि अन्य फर्ज भी निभा रहे हैं। आज हम आपको दो ऐसे ही कोरोना वॉरियर्स से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने एम्बुलेंस चालक की गैर उपस्थिति में स्टेयरिंग व्हील थामी और पहाड़ के खतरनाक रास्ते पर मरीज को लाने निकल पड़े..पिथौरागढ़ के बेरीनाग में बीती देर रात कोरोना संक्रमित मरीज की हालत ज्यादा खराब हो गई। उस समय एम्बुलेंस चलाने के लिए कोई मौजूद नहीं था तब वहां के डॉक्टर एवं नर्सिंग ऑफिसर ने खुद एम्बुलेंस का स्टेयरिंग अपने हाथों में लिया और निडर होकर मरीज को लेने पहुंचे। आगे पढ़िए

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अगर डॉक्टर एवं नर्सिंग ऑफिसर सही समय पर एम्बुलेंस लेकर मरीज को लेने नहीं पहुंचते तो शायद मरीज की जान नहीं बच पाती। मुश्किल समय में मरीज की जान बचाने के लिए डॉक्टर एवं नर्सिंग ऑफिसर की हर जगह तारीफ हो रही है। हम बात कर रहे हैं पिथौरागढ़ के बेरीनाग में डॉक्टर संदीप और स्टाफ नर्सिंग ऑफिसर मनोज की। दरअसल पिथौरागढ़ के बेरीनाग अस्पताल में तैनात डॉक्टर संदीप एवं स्टाफ नर्सिंग ऑफिसर मनोज बीते सोमवार को अस्पताल में ड्यूटी कर रहे थे। देर रात अचानक 1 बजे उनको दूरस्थ क्षेत्र डदमोली गांव से कोरोना वायरस संक्रमित मरीज की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली। उस समय अस्पताल में एम्बुलेंस तो थी मगर एंबुलेंस चालक मौजूद नहीं था। एक ओर मरीज की सांसें अटकी हुई थीं और हालत बिगड़ती ही जा रही थी तो दूसरी तरफ एम्बुलेंस चालक के न होने की वजह से मरीज तक पहुंचने का कोई भी रास्ता नहीं निकल पा रहा था। इसके बाद अस्पताल में मौजूद डॉक्टर संदीप और नर्सिंग ऑफिसर मनोज ने मरीज की जान बचाने की ठानी।

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एंबुलेंस की स्टेयरिंग हाथ में थाम कर दोनों मरीज को अस्पताल लाने के लिए निकल पड़े। वे दोनों खुद एंबुलेंस लेकर मरीज के गांव पहुंचे। रात के 2 बजे दोनों मरीज को लेकर अस्पताल की ओर निकल पड़े। लेकिन रात होने के कारण भी बीच में रास्ता भटक गए। वहीं ग्रामीण इलाके के कारण वहां पर मोबाइल नेटवर्क भी नहीं मिल रहा था और इस कारण दोनों को अस्पताल का रास्ता ढूंढने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इसी बीच मरीज की हालत भी एंबुलेंस में बिगड़ती रही और मुश्किल से रास्ता ढूंढने के बाद दोनों मरीज को लेकर रात के 3 बजे भारी मशक्कत के बाद अस्पताल पहुंचे और उनका इलाज किया। सही समय पर इलाज के बाद मरीज की जान बच सकी। अगर डॉक्टर संदीप और नर्सिंग ऑफिसर मनोज सही समय पर एंबुलेंस चला कर मरीज की जान नहीं बचाते तो मरीज की जान संकट में आ जाती। डॉ संदीप और मनोज की हर कोई सराहना कर रहा है और उनके इस नेक काम की जम कर तारीफ कर रहा है।