उत्तराखंड देहरादूनBJP can contest Uttarakhand assembly elections without CM candidate

उत्तराखंड: BJP अपना सकती है असम का फॉर्मूला..बिना CM कैंडिडेट चुनाव में उतरने की तैयारी

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections 2022) में बीजेपी बिना सीएम कैंडिडेट के मैदान में उतर सकती है। पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand Assembly Elections: BJP can contest Uttarakhand assembly elections without CM candidate
Image: BJP can contest Uttarakhand assembly elections without CM candidate (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने चार साल पूरे कर लिए हैं। इस वक्त सरकार का पूरा फोकस कोरोना संक्रमण रोकथाम पर है, साथ ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति भी बनाई जा रही है। सूत्रों की मानें तो बीजेपी आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बिना सीएम कैंडिडेट के मैदान में उतर सकती है। बीजेपी ने ये फॉर्मूला असम में अपनाया था, जिसका नतीजा सबके सामने है। असम में पार्टी दोबारा सत्ता में आने में कामयाब रही। फिलहाल बीजेपी के बड़े नेता उत्तराखंड राज्य के लिए चुनावी रणनीति को लेकर विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहे हैं, जिसमें एक फॉर्मूला यह भी है। उत्तराखंड छोटा राज्य होने के बाद भी राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। विधानसभा चुनाव का रण करीब है। अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं, इस लिहाज से अब केवल लगभग आठ महीने का समय ही बचा है। आगे पढ़िए

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मार्च में पार्टी ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन कर अपनी चुनावी रणनीति को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की थी, लेकिन नया नेतृत्व भी पार्टी की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा। प्रदेश में कोरोना से बिगड़े हालात ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से केंद्र में किसी को परेशानी तो नहीं है, लेकिन उनके कुछ बयानों ने पार्टी को असहज किया है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत भी पार्टी की दिक्कतें बढ़ाने वाले कई बयान दे चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन करने के बजाय उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बिना किसी चेहरे के जा सकती है। इसके पीछे एक और वजह है। बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के लगभग आधा दर्जन दावेदार हैं। पार्टी किसी को नाराज नहीं करना चाहेगी। बीजेपी ने यही फॉर्मूला असम में भी अपनाया था। वहां सर्बानंद सोनोवाल के सीएम रहते हुए भी उन्हें सीएम के तौर पर पेश नहीं किया गया। हेमंत बिस्वा सरमा को परोक्ष रूप से आगे बढ़ाया गया था और बाद में उनको ही मुख्यमंत्री बनाया गया। अब उत्तराखंड में भी बीजेपी विधानसभा चुनाव के लिए यही फॉर्मूला अपना सकती है।