उत्तराखंड चमोलीCrack in Patalganga Half Tunnel

विकास देखिए: पहाड़ में इस टनल को बने अभी सिर्फ 4 महीने हुए, पड़ गई दरारें

चार महीनों में ही खराब हुई बदरीनाथ हाईवे पर पातालगंगा हाफ टनल की हालत। पड़ने लगीं दीवारों पर दरारें, दिखने लगे पिलर्स।

Patalganga Half Tunnel: Crack in Patalganga Half Tunnel
Image: Crack in Patalganga Half Tunnel (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ हाईवे पर चमोली जोशीमठ के बीच में पातालगंगा हाफ टनल का निर्माण अभी चार ही महीने पहले किया गया था। अभी तक इस टनल का उद्घाटन भी नहीं हो पाया है। 4 महीने के अंदर ही टनल की हालत खराब हो गई है और 33 करोड़ की लागत से बने पातालगंगा हाफ टनल में बड़ी दरारें आ गई हैं। भूस्खलन क्षेत्र में 33 करोड़ की लागत से बनाई गई हाफ टनल के निर्माण की असलियत महज 4 महीने के अंदर ही सबके सामने आ गई है और इस टनल में दरारें पड़ने लगी हैं। बता दें कि बदरीनाथ हाईवे पर चमोली-जोशीमठ के बीच भूस्खलन क्षेत्र में 33 करोड़ की लागत से बनाया गया पातालगंगा हाफ टनल 4 महीने भी नहीं टिक पाया और 4 महीने के अंदर ही टनल की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और टनल का सरिया भी दिखने लगा है। ऐसे में राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास निगम की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे के अंदर आ गई है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस हाफ टनल का अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ है और उद्घाटन से पहले ही इस टनल की हालत पस्त हो गई है। विभाग हाफ टनल के उद्घाटन की बजाय अब दरारों की मरम्मत करने में जुट गया है.

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बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन जोन में होने वाली तबाही से हम सब अवगत हैं। पातालगंगा में 20 सालों से सक्रिय भूस्खलन जोन में होने वाले हादसे किसी से छिप नहीं पाए हैं। इस सक्रिय भूस्खलन जोन में आपदाओं को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए मगर सब के सब विफल रहे। आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि बीते 10 साल में इस जोन के अंदर 30 से अधिक दुर्घटनाओं में कुल 20 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। भूस्खलन को देखते हुए एनएचआईडीसीएल ने जोन के 600 मीटर क्षेत्र के 150 मीटर क्षेत्र को खतरनाक घोषित करते हुए यहां पर हाफ टनल का निर्माण कार्य शुरू किया। 4 महीने पहले इस टनल का निर्माण कार्य खत्म हुआ और 4 महीने पहले ही इस टनल से बिना उद्घाटन किए यातायात शुरू कर दिया गया। इस टनल का निर्माण कार्य इस तरह से किया गया है कि टनल के ऊपर भूस्खलन होगा और टनल के नीचे से वाहन गुजरेंगे जिससे किसी को भी चोट नहीं आएगी।

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टनल का निर्माण कार्य पूर्ण होने के 4 महीने के बाद ही चमोली की ओर से टनल के ऊपर दरारें पड़ने शुरू हो गई हैं और टनल के अंदर सरिया भी दरार के बाद दिखने लगा है जिसके बाद एनएच की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल उठ रहे हैं। भूस्खलन की स्थिति में मलबा टनल के ऊपर से गुजर जाएगा और नीचे यातायात बाधित नहीं होगा। बता दें कि इस सुरंग के अंदर लाइटनिंग के भी खास इंतजाम किए गए हैं मगर 4 महीने के भीतर ही इस टनल के निर्माण कार्य की असलियत सबके सामने आ चुकी है। अब तक इस टनल का उद्घाटन भी नहीं हो पाया है और टनल की दीवारों पर बड़ी-बड़ी दरारें साफ तौर पर देखी जा सकती हैं। जिला अधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने तत्काल रूप से इस मामले में संज्ञान लेते हुए कहा है कि एनएच से जानकारी लेकर आगे की कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल जिला प्रशासन इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रहा है। टनल की मरम्मत की जा रही है।