उत्तराखंड देहरादूनKnow about the land law in Uttarakhand

उत्तराखंड में चुनाव से पहले गर्माया भू-कानून का मुद्दा, युवाओं में दिख रहा है जबरदस्त जोश

चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर गर्माया भू कानून का मुद्दा। हिमाचल के तर्ज पर उत्तराखंड में भू कानून को सख्त बनाने को लेकर उठ रही है पुरजोर मांग।

Uttarakhand Land Law: Know about the land law in Uttarakhand
Image: Know about the land law in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: विधानसभा चुनाव में बस कुछ ही महीने बचे हैं और विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उत्तराखंड में भू कानून के मुद्दे ने तूल पकड़ ली है। लगातार सामाजिक संगठनों द्वारा यह मांग की जा रही है कि उत्तराखंड में भी हिमाचल की तर्ज पर ही भू कानून लागू हो। सोशल मीडिया पर लगातार सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता भू कानून के मुद्दे पर बात कर रहे हैं। कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर भू कानून का मुद्दा गरमाया हुआ है। हर कोई इस कानून के समर्थन में आवाज उठा रहा है और हिमाचल की तर्ज पर ही उत्तराखंड में भी इस कानून को लागू करने की बात कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भू कानून आंदोलन छा चुका है और हर जगह यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है। यह मुहिम इंस्टाग्राम से लेकर ट्विटर और फेसबुक हर जगह पर आग की तरह फैल गई है। ऐसा पहली बार है कि कोई राजनीतिक मुद्दा सोशल मीडिया पर इतना अधिक गर्मा रहा हो। लोगों के अंदर बाहरी राज्यों से लोगों द्वारा पहाड़ों पर जमीन खरीदने और बेचने को लेकर आक्रोश साफ तौर पर झलक रहा है। उनका कहना है कि उत्तराखंड में रोजगार कम हो रहा है। उत्तराखंड पलायन का शिकार भी है और उसके बाद यहां पर लगातार बाहरी लोग जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और बड़ी संख्या में पहाड़ों पर जमीनें खरीदी और बेची जा रही हैं जिसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। उत्तराखंड के अंदर हिमाचल की तरह भू कानून की मांग को लेकर पिछले कई सालों से अभियान चल रहा है और वर्तमान में सोशल मीडिया में एक बार फिर से इस अभियान ने आग पकड़ ली है.

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चलिए पहले आपको बताते हैं कि यह भू कानून आखिर क्या है और उत्तराखंड में इस कानून को सशक्त करने की मांग सोशल मीडिया पर क्यों उठ रही है और क्यों सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने आग पकड़ रखी है। भू कानून का मतलब है भूमि पर केवल और केवल आपका अधिकार। अब पहाड़ों के लोगों का कहना है कि बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य जब बना तब 2002 तक बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड में केवल 500 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीद सकते थे। 2007 में सीमा को 250 वर्ग मीटर कर दिया गया जिसके बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 6 अक्टूबर 2018 को इस पूरे कानून में दो नई धाराएं जोड़ीं और इन धाराओं के तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया। इसका मतलब था कि बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में कोई भी कहीं पर भी भूमि खरीद सकता था और इसी के साथ में देहरादून, हरिद्वार युएसनगर जिलों में भूमि की सीलिंग को भी खत्म कर दिया गया और इन जिलों में तय सीमा से अधिक भूमि खरीदी या बेची जा सकती थी। कुल मिला कर राज्य की स्थापना के बाद से अब तक राज्य में एक सशक्त भू कानून अब तक लागू नहीं हो पाया है और इसका खामियाजा उत्तराखंड के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। हिमाचल प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड का भू कानून बेहद ही कमजोर है और इस को सशक्त करने की मांग लगातार लोगों द्वारा उठाई जा रही है।

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फिल्म अभिनेता हेमंत पांडे ने कहा है कि अगर समय रहते उत्तराखंड में सशक्त भू कानून लागू नहीं किया गया तो तक राज्य की हालत भी कश्मीर की तरह हो जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य के लिए भू कानून बेहद जरूरी है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाली पीढ़ी के पास केवल नाम का उत्तराखंड रह जाएगा और यहां की संस्कृति, भाषा सब कुछ खत्म हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि जरूरत है प्रत्येक व्यक्ति को कानून का समर्थन करें और सरकार को उस कानून को लागू करने के लिए मजबूर करें। इसी के साथ हेमंत पांडे ने कहा कि एक नई आजादी का आंदोलन हमें शुरू करना होगा और अपने मातृभूमि की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल की तर्ज पर ही यहां पर भी भूमि पर बाहरी राज्यों के लोगों का हक हटाया जाए। अगर ऐसा ही चलता रहा तो उत्तराखंड का भविष्य भयंकर होने वाला है। वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर 2022 में कांग्रेस सत्ता में आई तो हम हिमाचल प्रदेश के भू कानून से भी बेहतर कानून बनाकर राज्य में लागू करेंगे। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस कानून में संशोधन करने के बाद भाजपा ने पूंजीपतियों के लिए राज्य में जमीन खरीदने और बेचने के रास्ते को पूरी तरह खोल दिया है और अगर कांग्रेस की सरकार आती है तो राज्य में हिमाचल से भी सख्त भू कानून बनाया जाएगा।