उत्तराखंड टिहरी गढ़वालSunderlal Chamoli and Vigula Chamoli of Tehri Garhwal Khati-farming

गढ़वाल: मेहनती पति-पत्नी ने नहीं मानी हार, खेती से की लाखों में कमाई..देखिए वीडियो

ये कहानी है गढ़वाल के दंपति की, जिन्होंने अपनी मेहनत से धरती को हरा भरा कर दिया और कमाई भी शानदार की। देखिए वीडियो

Tehri Garhwal News: Sunderlal Chamoli and Vigula Chamoli of Tehri Garhwal Khati-farming
Image: Sunderlal Chamoli and Vigula Chamoli of Tehri Garhwal Khati-farming (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: सबसे पहले श्रीकांत उनियाल का धन्यवाद जिन्होंने हमें यह कहानी और यह वीडियो उपलब्ध करवाया। कहतें है कि हाथ पर हाथ धरे बैठने से क्या फायदा? किसी को कोसते रहने से क्या फायदा? खुद कर्म कीजिए और अपनी आंखों के आगे अपने सपने को साकार होता देखिए। ऐसी ही कहानी है गढ़वाल के दंपति की, जिन्होंने अपनी मेहनत से धरती को हरा भरा कर दिया और कमाई भी शानदार की। हालांकि कोरोना के चलते बीच में नुकसान उठाना पड़ा लेकिन एक बार फिर से दोगुने उत्साह के साथ काम करने की तैयारी है। ये हैं टिहरी गढ़वाल के जौनपुर के थत्यूड़ के सुंदरलाल चमोली और उनकी पत्नी विगुला चमोली। ये एक सामान्य किसान परिवार है और पूरी तरह कृषि पर निर्भर है। परिवार ने काफी गरीबी देखी है लेकिन हार नहीं मानी। उन्होंने परम्परागत कृषि के साथ आधुनिक कृषि तथा पशुपालन में जोर दिया। खेतों की साट बाट कर खेतो को एक जगह किया तथा जैविक कृषि व आधुनिक तरीके से कृषि पर जोर दिया। धीरे धीरे उद्यानीकरण पर भी जोर दिया। खेतों को सही व सांट बाट करने में काफी व्यय हुआ लेकिन खेती को सही तरीके से करना शुरू किया। सरकार द्वारा कागजी मदद ही मिली और बस एक टैंक जरूर मिला। आगे देखिए वीडियो

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धीरे धीरे कृषि से आय होने लगी फिर नगद फसलें लगानी शुरू की। शिमला मिर्च, लहसुन, मटर, अदरक, बीन, सरसो, आलू, प्याज, टमाटर, ब्रोकली, गोभी, मूली, चुकुन्दर, करेला, तोरी, लोकी आदि सभी सब्जियां और फसले उगानी शुरू कर दी। कभी रेट अच्छा मिलता है कभी नही भी मिलता तो इसलिए उद्यानी पर जोर दिया। सेब, अंगूर, पुलम, अमरुद, अनार, आड़ू, खुमानी, नींबू, कागजी, चकुतरा, कीनू के पेड़ लगाये, जो आज अच्छा आमदनी का सोर्स है। अब इस दंपति द्वारा अभी कीवी व सेब की बड़े ऑर्चर्ड लगाने की कोशिश हो रही है। अगर आमदनी की बात करे तो इन्हें 5 से 7 लाख तक आमदनी मिल जाती थी लेकिन पिछले दो सालों से कोरोना की वजह से काफ़ी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोरोना के कारण फसल उठ नही पा रही थी लेकिन अब एक बार फिर से इनकी उम्मीद बंधी है। अनलॉक के साथ ही दोनों एक बार फिर से खेती किसानी में जुट गए हैं।

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