उत्तराखंड पिथौरागढ़Coolagad bridge shed in Pithoragarh

पहाड़ में दांव पर जिंदगी..भारी बारिश की भेंट चढ़ा पुल, रस्सियों पकड़कर नदी पार कर रहे लोग

तस्वीरें देखकर आप लोगों की मजबूरी का खुद अंदाजा लगा सकते हैं। रस्सी से नदी पार करते वक्त जरा सी चूक हुई तो जान गई समझो, लेकिन मजबूरी में लोगों को ये जोखिम भी उठाना पड़ रहा है।

Pithoragarh News: Coolagad bridge shed in Pithoragarh
Image: Coolagad bridge shed in Pithoragarh (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: पहाड़ की जिंदगी पहाड़ जैसी ही कठिन है। मानसून आता है तो यहां हर तरफ तबाही का मंजर दिखने लगता है। डराने वाली ऐसी ही एक तस्वीर सीमांत जिले पिथौरागढ़ से आई है। यहां चीन-नेपाल बॉर्डर को जोड़ने वाला कूलागाड़ पुल बह गया। पुल के बहने से 25 हजार से अधिक आबादी गांवों में कैद हो गई है। हाल ये है कि नदी पार करने के लिए लोगों को अपनी जिंदगी दांव पर लगानी पड़ रही है। यहां ब्यास, दारमा और चौदांस घाटी समेत सैकड़ों गांव शेष दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं। पुल तो अब रहा नहीं, ऐसे में लोग नदी के ऊपर रस्सियों के सहारे आवाजाही कर रहे हैं। यही नहीं कई जगह तो लोग बिजली के पोलों का सहारा लेने को मजबूर हैं। तस्वीरें देखकर आप लोगों की मजबूरी का अंदाजा खुद लगा सकते हैं। नदी पार करते वक्त जरा सी चूक हुई तो जान गई समझो, लेकिन मजबूरी में लोगों को ये जोखिम भी उठाना पड़ रहा है।

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कूलागाड़ में बीआरओ ने 45 करोड़ की लागत से आरसीसी पुल बनाया था, जो कि 8 जुलाई को आसमानी आफत की भेंट चढ़ गया। प्रशासन अब यहां वैली ब्रिज बनाने जा रहा है, जिसे बनने में करीब 5 दिन का समय लगना है। कूलागाड़ पुल ही सैकड़ों गांव की आवाजाही का एकमात्र जरिया था। इस पुल जरिए चीन और नेपाल बॉर्डर से सटी दारमा, ब्यास और चौदांस घाटियां शेष दुनिया से जुड़ती थी। बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी, एसएसबी और सेना के जवानों की आवाजाही भी इसी पुल से होती थी। बॉर्डर पर तैनात जवानों के लिए रसद आदि जो भी जरूरी सामान पहुंचाना होता था, वो इसी पुल से पहुंचाया जाता था, लेकिन पुल बहने से आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। सौ से ज्यादा गांव अलग-थलग पड़ गए हैं। एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए लोग अपनी जिंदगी दांव पर लगाने को मजबूर हैं।