उत्तराखंड देहरादूनGuidelines issued for schools in Uttarakhand

उत्तराखंड में आज से खुल गए स्कूल, छात्रों को लाना होगा सहमति पत्र..पढ़िए पूरी गाइडलाइन

उत्तराखंड में आज से 9वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिए स्कूल खुल रहे हैं। पढ़िए पूरी गाइ़लाइन

uttarakhand school opening: Guidelines issued for schools in Uttarakhand
Image: Guidelines issued for schools in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: तैयारियां आधी अधूरी हैं लेकिन उत्तराखंड में आज से नौंवी से 12 वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल खुल गए हैं। हाल ये है कि कई स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों का अभी तक फुल वैक्सीनेशन नहीं हुआ। कई स्कूल ऐसे हैं, जिनके पास सैनिटाइजेशन करवाने के लिए फंड भी नहीं है। उत्तराखंड में स्कूल खोले जाने को लेकर शासन की ओर से एसओपी जारी की गई थी। पढ़िए पूरी गाइडलाइन
1. विद्यालय खोले जाने से पूर्व समस्त आवासीय परिसर के आवासीय कक्ष, किचन, डायनिंग हॉल, वाशरूम, पेयजल स्थल, वाचनालय, पुस्तकालय तथा विद्यालय परिसर में कक्षाओं, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालय, शौचालय, पेयजल स्थल आदि ऐसे स्थलों जहाँ पर छात्र छात्राओं का भौतिक रूप से आवागमन होता हो, का भली भाँति सेनेटाईज कर लिया जाये। विद्यालयों में सेनेटाईजर, हैण्डवाश, थर्मलस्कैनिंग एवं प्राथमिक उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय तथा छात्र छात्राओं को हैण्ड सेनेटाईज / थर्मल स्कैनिंग कराने के पश्चात ही विद्यालय में प्रवेश दिया जाय। विद्यालय के वाशरूम में लिक्विड एन्टीसैप्टिक हैंडवाश की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाय शिक्षण संस्था में बच्चों के पीने के पानी का स्थल भी भली भाँति स्वच्छ रखते हुये पानी की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान रखा जाय। ध्यान रहे कि ऐसे स्थलों पर छात्र-छात्रायें एक साथ एकत्रित न हों।इस हेतु आवासीय परिसर तथा विद्यालय परिसर में समय अन्तराल नियोजित किया जाय।
2. प्रत्येक विद्यालय में कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत सम्बन्धित विद्यालय द्वारा एक नोडल अधिकारी नामित किया जाय, जो सोशल डिस्टेन्सिग एवं कोविड प्रोटोकाल सम्बन्धी दिशा-निर्देशों के अनुपालन हेतु उत्तरदायी होगा यदि विद्यालय के छात्रों, अध्यापकों एवं अन्य स्टाफ के मध्य संक्रमण की स्थिति उत्पन्न होती है, तो ससमय जिला प्रशासन / स्वास्थ्य विभाग को सूचित किये जाने की जिम्मेदारी सम्बन्धित प्रधानाचार्य / प्रबन्धन एवं नोडल अधिकारी की होगी। यदि किसी विद्यार्थी या शिक्षक या अन्य कार्मिक में खाँसी, जुकाम या बुखार के लक्षण प्रतीत होते हैं तो उन्हें प्राथमिक उपचार देते हुए आवासीय परिसर में आईसोलेशन कक्ष की व्यवस्था की जाय तथा इसकी सूचना जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग एवं सम्बन्धित छात्र छात्रा के अभिभावक को दी जाय एवं इस संदर्भ में स्वास्थ्य तथा आपदा प्रबन्धन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी SOP का अनुपालन किया जाय।
3. किसी बोर्डिंग / डे-बोर्डिंग विद्यालय में जिनमें अधिक छात्र संख्या हो तथा भौतिक रूप से शिक्षण कार्य कोविड प्रोटोकाल के तहत एक साथ किया जाना सम्भव न हो, उनमें विद्यालय प्रबन्धन कोविड प्रोटोकाल को दृष्टिगत रखते हुये भौतिक रूप से कक्षा शिक्षण दो पालियों में सम्पादित कर सकते हैं। प्रथम पाली में सम (even) अनुक्रमांक एवं द्वितीय पाली में विषम (odd) अनुक्रमांक वाले छात्र छात्राओं को विद्यालय में बुलाया जाये। इसके लिये विद्यालय समय सारिणी इस प्रकार से नियोजित की जाये कि शिक्षक दोनों पालियों में छात्र छात्राओं का कक्षा शिक्षण कर सकें। परन्तु ऐसी शिक्षण संस्थाएँ जिनमें अपेक्षाकृत छात्र संख्या कम हो अथवा एक पाली में ही कोविड प्रोटोकाल के तहत भौतिक रूप से शिक्षण कार्य किया जा सके उनमें छात्र छात्राओं का कक्षा शिक्षण एक पाली में ही निर्धारित विद्यालय समयानुसार सम्पादित किया जाय।
4. बोर्डिंग / डे-बोर्डिंग विद्यालय में आवासीय परिसर में निवास करने वाले शिक्षकों / अन्य कार्मिकों एवं छात्र छात्राओं को अधिकतम 48 घण्टे पूर्व की प्राप्त आर०टी०पी०सी०आर० रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर ही विद्यालय में प्रवेश की अनुमति दी जाय।
5. बोर्डिंग / डे-बोर्डिंग विद्यालय में छात्र-छात्राओं को अभिभावकों की सहमति के बाद ही विद्यालय में भौतिक रूप से उपस्थिति होने की अनुमति दी जाय तथा विद्यालय खुलने के तीन दिन के अन्तर्गत इस आशय की सहमति प्राप्त कर ली जाय विद्यालय में भौतिक रूप में उपस्थित होने के लिए किसी भी छात्र छात्रा को बाध्य न किया जाय।
6. विद्यालयों का संचालन हाईब्रिड मोड (Hybrid Mode) में किया जायेगा अर्थात भौतिक शिक्षण के साथ-साथ ऑनलाईन शिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। अध्यापन कार्य के दौरान शिक्षक मोबाईल या अन्य उपकरण (Devices) से शिक्षण कार्य को ऑनलाईन लाइव प्रसारित करेंगे, जिससे ऐसे छात्र छात्रायें जो विद्यालय में भौतिक रूप से उपस्थित नहीं हो पा रहे हों, वे आवासीय परिसर अथवा घर पर रह कर ही कक्षा शिक्षण से जुड़ सकें।
7. बोर्डिंग / डे बोर्डिंग विद्यालय यह भी सुनिश्चित करें कि समस्त शिक्षक, कर्मचारी एवं समस्त छात्र-छात्राओं को विधिवत मास्क पहनने के उपरान्त ही विद्यालय / कक्षा कक्ष में प्रवेश की अनुमति दी जाय। यदि कोई छात्र छात्रायें बिना मास्क के विद्यालय में उपस्थित होते हैं, तो विद्यालय ऐसे छात्र छात्राओं के लिये मास्क की व्यवस्था करें। समस्त शिक्षक कर्मचारी तथा छात्र छात्रायें विद्यालय अवधि में तथा आवासीय परिसर / घर से स्कूल आने तथा स्कूल से आवासीय परिसर / घर जाते समय मास्क का उचित ढंग से उपयोग करेंगे। कक्षा कक्ष में बैठक व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग के तहत सुनिश्चित की जाये।
8. आवासीय परिसर विद्यालय / कक्षा कक्ष में प्रवेश एवं छुट्टी के समय सोशल डिस्टेंसिग का अनुपालन हो सके इसके लिए सभी कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को एक साथ आने-जाने की अनुमति न दी जाय तथा इसमें समयान्तराल निर्धारित किया जाये।
9. बोर्डिंग / डे- बोर्डिंग विद्यालय द्वारा आवागमन हेतु निजी बसों का संचालन करते समय यह ध्यान रखा जाय कि छात्र-छात्राएँ, निजी वाहनों के चालक / परिचालक / आया भी सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करें तथा विधिवत मास्क एवं सैनेटाईजर का प्रयोग करें। ऐसे वाहनों के सेनेटाइजेशन पर विशेष ध्यान दिया जाय तथा वाहन चालक एवं सहायक का वैक्सिनेशन भी सुनिश्चित कराया जाय। ऐसी शिक्षण संस्थायें जिसमें छात्र छात्रायें पब्लिक ट्रांस्पोर्ट का उपयोग करते हुये विद्यालय में आते हैं, उनके पब्लिक ट्रांस्पोर्ट को भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बच्चों को बिठाने तथा पब्लिक ट्रॉस्पोर्ट को समय-समय पर सैनेटाईज करवाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
10. विद्यालय परिसर में समस्त विद्यालय प्रबन्धन के सदस्य प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, समस्त शिक्षक, कर्मचारी, मैट्रन, आवासीय परिसर के समस्त स्टॉफ तथा विद्यालय में अन्य सेवाओं से जुड़े हुये समस्त कर्मचारियों के यथासम्भव Vaccination की व्यवस्था की जाय। यदि विद्यालय परिसर में के किसी भी शिक्षक / सहयोगी स्टॉफ का Vaccination नहीं हुआ है, तो विद्यालय प्रधानाचार्य / प्रबन्धन द्वारा स्वास्थ्य विभाग / जिला प्रशासन के सहयोग से प्राथमिकता के आधार पर vaccination कराया जाय।
11. कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाओं के लिये ऑनलाईन पठन-पाठन की व्यवस्था यथावथ जारी रखी जाये। 12. कोविड-19 के फैलाव तथा उससे बचाव के उपायों से समस्त विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों को जागरूक किया जाय।
13. विद्यालय में प्रार्थना सभा, बाल सभा, खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा अन्य सामुहिक गतिविधियाँ, जिनसे कि कोविड-19 संक्रमण की अधिक सम्भावना होती है को अग्रिम आदेशों तक स्थगित रखा गया है। लेकिन बोर्डिंग / डे- बोर्डिंग विद्यालयों में अन्य गतिविधियाँ जिसमें कम से कम छात्र-छात्राओं का प्रतिभाग होता है, को सामाजिक दूरी का पालन करते हुए इस आधार पर संचालित किया जा सकता है कि अभिभावकों से इसके लिए न्यूनतम शुल्क ही लिया जाय।
14. विद्यालयों को भौतिक रूप से खोले जाने का निर्णय बच्चों के अधिगम स्तर में सुधार तथा सीखने के अवरोधों को दूर करने के दृष्टिगत लिया गया है। चूंकि बोर्डिंग / डे- बोर्डिंग विद्यालयों में बच्चों का ठहराव अधिक समय के लिए होता है इसलिए बच्चों की सुरक्षा से सम्बन्धित यथावश्यक सभी उपाय कर लिए जाय। साथ ही विद्यालय में बाहर से आने वाले सभी व्यक्तियों का आवागमन भी सीमित रखा जाय तथा इस सम्बन्ध में कोविड प्रोटोकाल का पालन किया जाय।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: देखते ही देखते कुत्ते को जिंदा निगल गया अजगर, हैरान रह गए लोग..देखिए वीडियो
15. कक्षा 6 से 12 की कक्षायें सामान्यतया चार घण्टे तक संचालित की जाय किन्तु जिन विद्यालयों में कक्षा शिक्षण दो पालियों में संचालित होगा, विद्यालय प्रबन्धन समय सारिणी में परिवर्तन कर सकेंगे तथा प्रथम पाली के बाद कक्षा-कक्षों को सैनेटाईज किये जाने के बाद ही दूसरी पाली प्रारम्भ प्रारम्भ की जायेगी। विद्यालय सोमवार से शनिवार तक कक्षा शिक्षण हेतु खुले रहेंगे तथा रविवार को जिला प्रशासन, नगर प्रशासन / स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से नियमित सैनेटाईजेशन तथा फौगिंग करवाई जायेगी।
16. डेंगु के भी अपेक्षित प्रसार को दृष्टिगत रखते हुये छात्र छात्राओं को विद्यालय अवधि में फुल-बाजू दिया जाय। के पैंट शर्ट / सलवार कमीज पहनकर विद्यालय में उपस्थित होने का निर्देश
17. जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी समय समय पर बोर्डिंग / डे-बोर्डिंग विद्यालयों में कोविड प्रोटोकाल का अनुपालन किये जाने का अनुश्रवण करेंगे तथा किसी भी अपरिहार्य स्थिति में तत्काल जिला प्रशासन / स्वास्थ्य विभाग एवं आपदा प्रबन्धन विभाग को सूचित करेंगे।
18. महानिदेशक, निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा अपने स्तर से अधीनस्थ स्तर पर उक्त दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करायें तथा समय-समय पर विद्यालयों का औचक निरीक्षण भी करें।