नैनीताल: उत्तराखंड का कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों की शरणस्थली के रूप में मशहूर है। हर साल लाखों पर्यटक यहां बाघों की अठखेलियां देखने आते हैं, जल्द ही सैलानी यहां गैंडों का दीदार भी कर पाएंगे। पार्क प्रशासन ने योजना पर काम शुरू कर दिया है। जल्द ही गैंडों को कॉर्बेट में लाया जाएगा। यह पार्क गैंडों के रहने के लिहाज से अनुकूल है। कॉर्बेट पार्क के जंगलों में करीब 100 से ज्यादा गैंडे आसानी से रह सकते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक एक समय में कॉर्बेट नेशनल पार्क गैंडों की शरणस्थली हुआ करता था। यहां बड़ी तादाद में गैंडे निवास करते थे, लेकिन धीरे-धीरे यहां से गैंडे विलुप्त हो गए। अब कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक बार फिर गैंडों को लाने की योजना बनाई गई है। राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल और असम से करीब 10 गैंडे लाने की योजना बनाई है। वन्यजीव बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है, जिसके बाद गैंडों को राज्य में लाने की कवायद तेज हो गई है।
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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल कुमार ने बताया कि गैंडों को लाने का कार्य स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया गया है। इसका प्रस्ताव नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को भेजा गया था। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने क्षेत्र का निर्धारण भी कर लिया है। अगर यह प्रपोजल पास होता है, तो उसके बाद पर्यटक कॉर्बेट पार्क में बाघ, तेंदुए, हाथी, भालू आदि के अलावा गैंडे के दीदार भी कर पाएंगे। यहां आपको भारतीय गैंडों के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं। भारतीय गैंडे 12.5 फुट तक लंबे होते हैं और उनका वजन तीन टन तक होता है। वे उत्तरी भारत में आर्द्र और घास के मैदानों में रहते हैं। एक वक्त था जब भारतीय गैंडे विलुप्त होने के कगार पर थे, लेकिन 1970 के दशक में शुरू किए गए संरक्षण कार्यक्रम की वजह से अब देश में 3600 से ज्यादा गैंडे हैं। इनमें से 170 से अधिक दुनियाभर के 66 चिड़ियाघरों में हैं।