उत्तराखंड ऋषिकेशSo far 18 tourists have died in the Ghat of Rishikesh

ऋषिकेश के खूबसूरत घाट पर सावधान रहें पर्यटक, 8 महीने में 18 लोगों की मौत

अति संवेदनशील घाटों पर पुलिस ने पत्थरों पर सिर्फ ‘खतरा’ लिखकर खानापूर्ति कर ली है, जबकि कायदे से यहां चेतावनी बोर्ड लगाए जाने चाहिए थे।

Rishikesh Ghat: So far 18 tourists have died in the Ghat of Rishikesh
Image: So far 18 tourists have died in the Ghat of Rishikesh (Source: Social Media)

ऋषिकेश: तीर्थनगरी ऋषिकेश। यहां पर्यटकों के लिए आध्यात्म से लेकर एडवेंचर तक का हर इंतजाम है। ऋषिकेश के गंगातट पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है, लेकिन इन दिनों भारी बारिश के चलते नदियां उफान पर है। नदियों का तेज बहाव आपदा का सबब बन रहा है। जो लोग अपनी जान की परवाह किए बिना नदियों में मौज-मस्ती करने उतर रहे हैं, वो जान गंवा रहे हैं, फिर भी लोग इन हादसों से सबक नहीं ले रहे। रविवार को भी यही हुआ। नोएडा से मुनिकीरेती घूमने आए एयरटेल कंपनी के दल के दो सदस्य गंगा में डूब गए। कंपनी के सेंटर हेड गंगा में आचमन के लिए उतरे थे। इस दौरान पैर फिसलने से वह बहने लगे। सेंटर हेड को बचाने के चक्कर में कंपनी का एक मैनेजर भी तेज बहाव की चपेट में आ गया।

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दोनों ही नदी की तेज धारा में ओझल हो गए। नदी के तेज बहाव में बहने वाले लोगों में नोएडा की एयरटेल एंड्राइड कंपनी के सेंटर हेड राहुल सिंह (36) पुत्र स्व. प्रेमपाल सिंह और कंपनी के मैनेजर भानुमूर्ति (37) पुत्र एबीएस नारायण शामिल हैं। वैसे ऋषिकेश में पर्यटकों के बहने की ये पहली घटना नहीं है। नदी की गहराई और तटों का अंदाजा न होने के कारण पर्यटक पक्के घाटों को छोड़कर संवेदनशील और अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में मौज-मस्ती करने के लिए नदी में उतर जाते हैं। नतीजन वे हादसे का शिकार हो जाते हैं। मुनिकीरेती और लक्ष्मणझूला क्षेत्र में महज आठ महीने में 18 पर्यटक बह चुके हैं। इनमें से 12 पर्यटकों के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 6 का कुछ पता नहीं लग सका। क्षेत्र मे लगातार हादसे हो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद मुनिकीरेती और लक्ष्मणझूला पुलिस ने गंगा घाटों पर पर्यटकों की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए हैं।

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लक्ष्मणझूला के अंतर्गत बॉबे घाट, संतसेवा घाट, किरमोला घाट, राधेश्याम घाट, भागीरथी घाट और गंगा लाइन अतिसंवेदनशील घाट हैं। यहां पत्थरों पर ‘खतरा’ लिखकर खानापूर्ति कर ली गई है, जबकि कायदे से यहां चेतावनी बोर्ड लगाए जाने चाहिए थे। इसी तरह मुनिकीरेती क्षेत्र में नीमबीच, सच्चाधाम घाट, दर्शन कॉलेज घाट और पूर्णानंद घाट अतिसंवेदनशील घाट हैं। वर्ष 2019 में 16 और वर्ष 2020 में 15 पर्यटक इन घाटों पर अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं पुलिस का कहना है कि गंगा तटों और घाटों पर जल पुलिस की तैनाती रहती है। पर्यटकों को अतिसंवेदनशील घाटों पर जाने से रोका जाता है, लेकिन पर्यटक नजर बचाकर निकल जाते हैं। कुल मिलाकर बात ये है कि अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस-प्रशासन के भरोसे न रहें। मौसम खराब है, नदियों में उफान है, इसलिए इनसे दूरी बनाकर रखें।