उत्तराखंड चमोलीStory of chamoli shaheed yogambar singh

गढ़वाल के सपूत ने देश के लिए दिया बलिदान, पत्नी और बच्चों को बिलखता छोड़ गए योगंबर सिंह

जवान योगंबर सिंह अपने पीछे पत्नी कुसुम देवी और एक साल के बेटे अक्षित को बिलखता छोड़ गए हैं। जब से उनकी शहादत की खबर गांव पहुंची है, किसी घर में चूल्हा नहीं जला।

Yogambar singh shaheed: Story of chamoli shaheed yogambar singh
Image: Story of chamoli shaheed yogambar singh (Source: Social Media)

चमोली: वीरभूमि उत्तराखंड एक बार फिर शोक में डूबी है। शुक्रवार को पहाड़ के दो जांबाजों ने देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकियों के खिलाफ चले ऑपरेशन में उत्तराखंड के दो लाल शहीद हो गए, इनमें 26 वर्षीय जवान योगंबर सिंह भी शामिल हैं। योगंबर सिंह चमोली जिले के सांकरी गांव के रहने वाले थे। वो आर-आर गढ़वाल राइफल्स के जवान थे, जब से उनकी शहादत की खबर गांव पहुंची है, किसी घर में चूल्हा नहीं जला। हर तरफ दिल चीरने वाला सन्नाटा पसरा है, जो कि सिर्फ लोगों की चीत्कार और रोने की आवाज से टूटता है। योगंबर सिंह अभी सिर्फ 26 साल के थे। सांकरी गांव के ग्राम प्रधान आनंद सिंह भंडारी ने बताया कि योगंबर सिंह 6 साल पहले गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए थे। बीते जुलाई महीने में ही योगंबर एक महीने की छुट्टी पर गांव आये थे। छुट्टी से वापस जाने के बाद वो जम्मू के पुंछ सेक्टर में तैनात थे।

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तीन साल पहले खूब धूमधाम से योगंबर की शादी हुई थी। उनका एक साल का बेटा भी है। शहीद के परिवार में माता जानकी देवी, पिता वीरेंद्र सिंह के अलावा दो भाई प्रशांत सिंह, वसुदेव सिंह और बहन श्रुति हैं। योगंबर अपने पीछे पत्नी कुसुम देवी और एक साल के बेटे अक्षित को बिलखता छोड़ गए हैं। परिजनों को शुक्रवार को आर्मी हेडक्वार्टर से दिन के दो बजे योगंबर सिंह के शहीद होने की सूचना मिली। बेटे के शहीद होने की सूचना पर मां बिलख उठी। पत्नी रो-रोकर बेसुध हो गई है। पूरे परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। गांव के साथ पूरा क्षेत्र गमगीन है। ग्राम प्रधान आनंद सिंह ने बताया कि शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर सेना के जवान ऋषिकेश पहुंच चुके हैं। शहीद का पार्थिव शरीर जल्द ही उनके पैतृक गांव पहुंचने की उम्मीद है, जहां शहीद योगंबर सिंह को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी।