उत्तराखंड टिहरी गढ़वालRifleman Vikram singh negi tehri garhwal

उत्तराखंड शहीद विक्रम नेगी: सुबह मां से वीडियो कॉल पर हुई बात, दोपहर को शहीद हुआ बेटा

राइफलमैन विक्रम 7 दिन बाद अपने घर आने वाले थे। उनका दो साल का बेटा परिजनों की गोद में खेल रहा है, उस मासूम को ये अहसास भी नहीं है कि अब उसके सिर पर पिता का साया नहीं रहा।

Vikram singh negi shaheed: Rifleman Vikram singh negi tehri garhwal
Image: Rifleman Vikram singh negi tehri garhwal (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए सर्च ऑपरेशन के दौरान उत्तराखंड के दो लाल शहीद हो गए। आतंकियों की ओर से हुई गोलाबारी में राइफलमैन विक्रम सिंह और राइफलमैन योगंबर सिंह घायल हो गए थे, बाद में उनका निधन हो गया। शुक्रवार सुबह बेटों की शहादत की सूचना मिलते ही दोनों परिवारों में कोहराम मच गया। शहीद योगंबर सिंह के साथ ही राइफलमैन विक्रम सिंह के गांव में भी इस वक्त मातम पसरा है। शहीद विक्रम सिंह नेगी जिला टिहरी के गाजा के पास स्थित विमन गांव के रहने वाले थे। जब से उनकी शहादत की खबर गांव पहुंची है, वहां मातम पसरा है। शहीद विक्रम के परिवार में पिता साहब सिंह, माता विजा देवी और दादी रुकमा देवी के साथ पत्नी पार्वती और 2 साल का बेटा प्रियांक रहते हैं। देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले विक्रम सिंह सिर्फ 26 साल के थे। वो परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। परिजनों ने बताया कि विक्रम नेगी 22 अक्टूबर को पूजा के लिए घर आने वाले थे। उनके माता-पिता और पत्नी विक्रम के आने की राह तक रहे थे, लेकिन दुर्भाग्य से उनके आने से पहले ही उनकी शहादत की मनहूस खबर घर पहुंच गई।

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शहीद विक्रम सिंह नेगी का मासूम बेटा प्रियांक आंगन में परिजनों की गोद में खेल रहा है, उस मासूम को इस बात का अहसास भी नहीं है कि उसके सिर पर पिता का साया नहीं रहा। पत्नी रो-रोकर बेसुध हो गई है..शहीद के चाचा ने बताया कि विक्रम को बचपन से ही आर्मी में जाने का शौक था। 2015 में विक्रम आर्मी में भर्ती हो गए। विक्रम अपने गांव के एकमात्र लड़के थे, जो आर्मी में भर्ती हुए थे। बीते 17 जुलाई को विक्रम डेढ़ महीने की छुट्टी काटकर ड्यूटी पर गये थे, उस वक्त किसने सोचा था कि अब विक्रम कभी घर नहीं लौटेंगे। 7 दिन बाद यानी 22 अक्टूबर को वो घर आने वाले थे। गुरुवार को सुबह 8 बजे विक्रम ने वीडियो कॉल पर अपनी मां से बात की। इसके बाद दिन में वो अपनी टीम के साथ आतंकियों के खिलाफ चले सर्च ऑपरेशन में गए, जहां वो मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। विक्रम की शहादत की खबर जैसे ही घर पहुंची वहां कोहराम मच गया। अब सभी शहीद के पार्थिव शरीर को लाए जाने का इंतजार कर रहे हैं।