उत्तराखंड देहरादूनLearn how to check nakli mawa

उत्तराखंड में दिवाली पर नकली मावा का कारोबार, इस तरह करें असली नकली की पहचान

मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से आपके जायके और सेहत दोनों का नुकसान हो सकता है। इसलिए मिठाई और पकवान बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला मावा खरीदते वक्त चौकन्ने रहें।

Nakli mawa check: Learn how to check nakli mawa
Image: Learn how to check nakli mawa (Source: Social Media)

देहरादून: दीपावली का त्योहार नजदीक है। ऐसे में मिठाईयों की बात न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है। बाजार स्वादिष्ट मिठाइयों से सज गए हैं, लेकिन मिठाई और दूध-घी जैसे खाद्य पदार्थ खरीदते वक्त सतर्क रहना भी जरूरी है। त्योहारी सीजन में शातिर लोग आपके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं। मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से आपके जायके और सेहत दोनों का नुकसान हो सकता है। इसलिए मिठाई के साथ ही पकवान बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला मावा खरीदते वक्त चौकन्ने रहें। दिवाली पर मावे की खूब डिमांड होती है, ऐसे में नकली मावे की बिक्री की शिकायतें भी सामने आती हैं। इसलिए मावा खरीदते समय इसकी पहचान करना जरूरी है। नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन के साथ ही आलू मिलाया जाता है। इस में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदा भी इस्तेमाल होते हैं। कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर नकली मावा बनाते हैं।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - हल्द्वानी: हैवान पिता ने 19 साल की बेटी का गला काटा, भाई का भी दिल नहीं पसीजा
नकली मावे के इस्तेमाल से फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द और उल्टी की शिकायत हो सकती है। खराब मावे से बनी मिठाइयां खाने से किडनी और लीवर पर भी बुरा असर होता है। नकली मावा कैसे बनता है, ये तो आपने जान लिया। अब आपको नकली और असली मावे की पहचान करना बताते हैं। मावे को हल्के गुनगुने पानी में डालें। फिर इसमें चने का आटा और चुटकी भर हल्दी मिला दें। अगर रंग गुलाबी हो जाए तो समझ लें इसमें मिलावट है। नकली मावा हथेली पर रखने पर तेल नहीं छोड़ता है। असली मावा मुलायम होता है, जबकि नकली दरदरा होता है। आप स्वाद से भी इसकी पहचान कर सकते हैं। नकली मावा स्वाद में कसैला होता है, जबकि असली मावे को खाने पर कच्चे दूध जैसा स्वाद आता है। नकली मावा पानी में डालकर फेंटने से वह दानेदार टुकड़ों में अलग हो जाता है। दरअसल एक किलो दूध से तकरीबन 200 ग्राम मावा ही निकलता है। इससे व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं होता, यही वजह है कि मुनाफा कमाने के लिए कई लोग नकली मावा बनाते हैं।