उत्तराखंड श्रीनगर गढ़वालAshish Rana of Maletha village Garhwal very ill in Thailand

गढ़वाल: मलेथा गांव का आशीष थाईलैंड में कोमा में है, गरीब मां-पिता ने लगाई मदद की गुहार

टिहरी का आशीष राणा (Garhwal Maletha Village Ashish Rana) थाईलैंड में गंभीर बीमारी से जूझ रहा है और कोमा में है, उसके गरीब माता-पिता ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है

Garhwal Maletha Village Ashish Rana: Ashish Rana of Maletha village Garhwal very ill in Thailand
Image: Ashish Rana of Maletha village Garhwal very ill in Thailand (Source: Social Media)

श्रीनगर गढ़वाल: हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे सफलता को प्राप्त करें। इसी आस में वे बच्चों पर खूब मेहनत करते हैं और अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं। और जब परिवार से दूर इकलौता बेटा घर से बाहर निकलता (Garhwal Maletha Village Ashish Rana) है तो मां- बाप को उसकी चिंता सताती है। ऐसे में जब उनको पता लगे कि जब उनसे सैकड़ों मील दूर उनका बेटा जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है तो आखिर वो खबर सुनकर मां-बाप का क्या हाल होगा इसकी शायद हम कल्पना भी न कर सकें। जो बेटा उनकी आखिरी उम्मीद हो और उसी उम्मीद पर उनकी टिकी हो, उस उम्मीद के टूट जाने की खबर आए तो उनके दिल पर जो बीतेगी वो शब्दों में बयां नहीं हो सकती। ऐसा ही हाल हो रखा है टिहरी जनपद के कीर्ति नगर ब्लॉक के मलेथा गांव के आशीष राणा के परिवार का। आशीष के माता-पिता गरीब हैं। परिवार का पेट पालने के लिए वह थाईलैंड के बैंकॉक में काम करता है। यहां उसकी अचानक तबीयत बिगड़ गई है। वह बेहद गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। महज 25 वर्ष का आशीष कोमा में है।

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आशीष राणा के परिजनों पर दुःखों का पहाड़ टूट गया है। आशीष के परिवार के पास बेटे बेटे के इलाज के लिए पैसे नहीं हैं। पिता मजदूरी कर घर चलाते हैं। उन्होंने उत्तराखंड सरकार और आम जन से मदद की गुहार लगाई है। थाईलैंड में रहने वाले आशीष राणा के साथी ने करण रावत ने बताया कि आशीष राणा तीन दिन से कोमा में है। उसका वीजा भी एक्सपायर हो गया है और ना ही उनके पास पैसे हैं। आशीष राणा तबेदिक (टीपी) की बीमारी से जूझ रहा है। आशीष राणा (Garhwal Maletha Village Ashish Rana) का ठेकेदार भी उसकी कोई मदद नहीं कर रहा है। उसकी बीमारी पर खर्चा बहुत अधिक आ रहा है। आशीष के पिता मजदूर हैं। उनका घर जो बेटा चलाता था अब कोमा में है। अब वह अपने बेटे को कैसे वापस लाएं और कैसे अपने जिगर के टुकड़े का इलाज कराएं उन्हें समझ नहीं आ रहा है। परिवार बेहद बेसहारा महसूस कर रहा है और उनका रो-रोकर बुरा हाल हो रखा है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड निवासियों से आर्थिक मदद की अपील है।