पिथौरागढ़: अपने घर-गांव से भला किसे लगाव नहीं होता। वो गांव जहां हमारा बचपन गुजरता है, जहां हम जिंदगी का ककहरा सीखते हैं, जब वही गांव आंखों के सामने धीरे-धीरे दम तोड़ रहा होता है, तो दिल दर्द से तड़प उठता है। पिथौरागढ़ के दर गांव के लोग भी इन दिनों इसी दर्द को हर दिन महसूस कर रहे हैं। उच्च एवं उच्च मध्य हिमालय की संधिस्थल पर स्थित पिथौरागढ़ की दारमा घाटी में लोग खौफ के बीच जीने पर मजबूर हैं। दारमा घाटी में मौजूद दर गांव भी व्यास घाटी के उच्च हिमालयी गब्र्यांग गांव की तरह धंसने लगा है। भूमि बुरी तरह दरकने लगी है जिस वजह से लोग खौफजदा हैं और यही वजह है कि भूमि धंसने से गांव के तीस से पैंतीस मकान टेढ़े हो चुके हैं। हालात तो यहां तक बन गए हैं कि ग्रामीण मकानों को बचाने के लिए लकड़ियों का सहारा ले रहे हैं। भूस्खलन के खतरे को देखते हुए गांव के लगभग पैंतीस परिवार पलायन कर सकते हैं। गांव में जिस तरह के हालात उत्पन्न हो रहे हैं और जिस तरह से ग्रामीणों की जिंदगी दांव पर लग रखी है ऐसे में ग्रामीण गांव को छोड़कर जाना ही एकमात्र विकल्प मान कर चल रहे हैं।
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