चमोली: हुनर और हौंसला हो तो बंजर जमीन में भी सोना उगाया जा सकता है। आम तौर पर लोगों का मानना है कि खेती में मेहनत ज्यादा है, और मुनाफा कम। यही वजह लोगों को खेती को अपनाने से रोकती है, पर ये पूरा सच नहीं है। उत्तराखंड में ऐसे कई किसान हैं जो अपनी मेहनत से लोगों की सोच को बदल रहे हैं। कृषि और बागवानी के क्षेत्र में खुद को स्थापित कर दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर जुटा रहे हैं।
चमोली के पोखरी में स्वरोजगार की अलख:
चमोली के पोखरी क्षेत्र में रहने वाले किसान देवेंद्र सिंह नेगी ऐसी ही शख्सियत हैं। नौली गांव में रहने वाले देवेंद्र सिंह नेगी ने 15 साल पहले कृषि और बागवानी की पहल की थी, आज वो हर साल लाखों रुपये कमा रहे हैं। देवेंद्र पहले मुंबई में प्राइवेट नौकरी करते थे। 15 साल पहले स्वरोजगार की चाह उन्हें गांव खींच लाई। इस दौरान उन्हें पता चला कि उद्यान विभाग की ओर से काश्तकारों को आधुनिक खेती से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
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देवेंद्र ने भी सब्जी, फलोद्यान और फ्लोरीकल्चर के क्षेत्र में उत्पादन की ठान ली। उद्यान विभाग ने उन्हें ट्रेनिंग के लिए सोलन और नौनी भेजा। वो पूसा इंस्टीट्यूट नई दिल्ली भी गए। जहां वैज्ञानिकों ने उन्हें सब्जियों और फलोद्यान की जानकारी दी। तकनीक की जानकारी लेने के बाद देवेंद्र ने सालभर जैविक सब्जियों के उत्पादन के लिए पॉली हाउस लगाए।
आज वो सब्जियों और सेब, माल्टा, कीवी समेत तमाम तरह के फलों को उगाकर अपनी आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। सब्जियों की बिक्री कर वो हर साल साढ़े तीन लाख रुपये तक की आमदनी कर रहे हैं। उन्हें प्रगतिशील काश्तकार के तौर पर कई बार सम्मानित किया जा चुका है।
जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह कहते हैं कि Devendra Singh Negi क्षेत्र के दूसरे किसानों के लिए स्वरोजगार और किसानी की मिसाल बनकर उभरे हैं। उन्होंने सब्जी और फलोद्यान के जरिए अपनी आर्थिकी मजबूत कर दूसरे बेरोजगारों को प्रेरणा देने का काम किया है।