उत्तराखंड देहरादून1 lakh loan on every person of Uttarakhand

उत्तराखंड के हर व्यक्ति पर 1 लाख से ज्यादा कर्ज, पढ़िए हैरान कर देेने वाला खुलासा

प्रदेश के माननीयों के ठाट-बाठ को देखकर लगता नहीं कि ये उसी उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो हजारों करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट

uttarakhand debt report : 1 lakh loan on every person of Uttarakhand
Image: 1 lakh loan on every person of Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: प्रदेश की धामी सरकार ने मंगलवार को 65571.49 करोड़ का बजट सदन में पेश किया। ये भी कहा कि यह बजट नहीं, हमारा संकल्प है।

1 lakh loan on every person of Uttarakhand

सरकार का बजट आम जनता और उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने वाला है। ये तो हुई विधानसभा सत्र की बात, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रदेश कर्ज के बोझ तले डूबा हुआ है। प्रदेश पर कर्ज का आंकड़ा हजार करोड़ रुपये की सीमारेखा को लांघकर एक लाख करोड़ पार करता दिख रहा है। प्रति व्यक्ति कर्ज की तुलना की जाए तो वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक राज्य का प्रत्येक व्यक्ति एक लाख रुपये से अधिक के कर्ज तले डूबा नजर आएगा। साल 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में यह दर बढ़कर 16 प्रतिशत को पार कर गई है। वित्तीय समीक्षा रिपोर्ट के आंकलन के अनुसार 2022-23 में कर्ज 25 प्रतिशत से अधिक दर से बढ़ता दिख रहा है। आंकड़े बता रहे है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.075 लाख करोड़ रुपये कर्ज की राशि है। जबकि 2021-22 में कर्ज की राशि 85486 करोड़ रुपये थी।

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राज्य सरकार के बजट दस्तावेजों पर बनी रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 तक उत्तराखंड सरकार पर 73,477.72 करोड़ रुपये का कर्ज था। ये कर्ज चुकता नही हुआ उल्टा राज्य सरकार कर्मचारियों के वेतन, पेंशन, विकास इत्यादि के लिए कर्ज पर कर्ज लिए जा रही है। हालांकि प्रदेश के माननीयों के ठाट-बाठ को देखकर हैरानी होती है कि ये उसी उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जो हजारों करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है। साल 2000 में यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड अस्तित्व में आया। तब से माननीयों पर सरकारी खजाने का 100 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है। अब स्थिति यह है कि इस वित्तीय वर्ष 2022-23 की समाप्ति तक प्रदेश पर कर्ज का आंकड़ा 1.075 लाख करोड़ रुपये पार होता दिख रहा है। अगले पांच सालों में सरकार 54,496 करोड़ रुपये का कर्ज और ले सकती है। इस तरह सरकार लगातार कर्ज तो ले रही है, लेकिन इसे चुकाया कैसे जाएगा, इस पर कोई कुछ नहीं कह रहा।