उत्तराखंड नैनीतालMan-eating tiger tranquilizes in Nainital Fatehpur range

उत्तराखंड में बाघ पकड़ने को चला सबसे बड़ा अभियान, लाखों हुए खर्च, 120 दिन बाद मिली सफलता

बेहोश बाघ को स्पेशल स्ट्रेचर पर रख वनकर्मियों ने उसे ढाई किमी तक कंधे में ढोया। जिसके बाद उसे रेस्क्यू वाहन से सीधे नैनीताल चिड़ियाघर लाया गया।

Fatehpur Range Tiger : Man-eating tiger tranquilizes in Nainital Fatehpur range
Image: Man-eating tiger tranquilizes in Nainital Fatehpur range (Source: Social Media)

नैनीताल: 120 दिन...20 लाख खर्च और वनकर्मियों की बड़ी फौज। इतनी मेहनत की गई, तब कहीं जाकर 7 लोगों को मारने वाले हत्यारे बाघ को पकड़ा जा सका।

tiger tranquilizes in Nainital Fatehpur range

रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज में रहने वाले लोगों के लिए बड़ी राहत की खबर है। यहां 7 लोगों की जान लेने वाले एक संदिग्ध बाघ को पकड़ लिया गया। रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज में 29 दिसंबर से लेकर 16 जून तक सात लोगों की जान गई। यह सभी मौतें बाघ के हमले में हुई थी। मौत के बढ़ते आंकड़ों के बाद उत्तराखंड में बाघ पकड़ने को सबसे बड़ा अभियान चला, जो कि सफल रहा है। हाथी पर सवार टीम ने मंगलवार को बाघ को ट्रैंकुलाइज कर लिया। जिसके बाद बेहोश बाघ को ढूंढने में वनकर्मियों को 40 मिनट से ज्यादा का वक्त लगा। बेहोश बाघ को स्पेशल स्ट्रेचर पर रख वनकर्मियों ने उसे ढाई किमी तक कंधे में ढोया। जिसके बाद उसे रेस्क्यू वाहन से सीधे नैनीताल चिड़ियाघर लाया गया।

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इस अभियान को पूरा करने में 120 दिन लगे। बाघ को नैनीताल चिड़ियाघर में ले जाया गया है, जहां आज उसका मेडिकल होगा। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद ही साफ होगा कि यह संदिग्ध बाघ है या आदमखोर। बता दें कि फतेहपुर रेंज में बाघ के हमले में 7 लोगों की मौत के बाद लोगों में गुस्सा बढ़ता जा रहा था। बाघ के अलावा एक बाघिन के भी कई बार कैमरा ट्रेप में नजर आने से चुनौती और बढ़ती गई। बाघिन को भी संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है। मंगलवार को जिस संदिग्ध बाघ को पकड़ा गया, उसका वजन करीब दो कुंतल है। बाघ को पकड़ने के दौरान हाथी, महावत, मचान बनाने, पिंजरे, मांस और पांच डिवीजनों के स्टाफ के भोजन और गाड़ियों के डीजल की व्यवस्था करने में करीब 20 लाख का खर्चा आया। बाघ को ट्रैंकुलाइज करने में 120 दिन लगे। इस तरह बाघ को ट्रैंकुलाइज करने के मामले में यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा अभियान साबित हो चुका है। इससे पहले रामनगर में एक आदमखोर बाघिन को मारने में 44 दिन लगे थे।