अल्मोड़ा: राष्ट्रमंडल खेल में युवा शटलर लक्ष्य सेन ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। उनकी इस कामयाबी का जश्न देशभर में मनाया जा रहा है।
Story of Lakshya Sen who won gold medal
उत्तराखंड के लिए भी ये गर्व से भर देने वाला क्षण हैं, क्योंकि लक्ष्य सेन उत्तराखंड के अल्मोड़ा से संबंध रखते हैं, बचीनगर कमलुवागांजा में उनका ननिहाल है। लक्ष्य की सफलता की कहानी काफी रोचक है। लक्ष्य के दादा सीएल सेन बैडमिंटन के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएं जीतीं थीं। लक्ष्य सेन को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए उनके पिता डीके सेन ने दिन-रात एक कर दिया। डीके सेन ने अपने दोनों बेटों को बेहतर बैडमिंटन खिलाड़ी बनाने के लिए अल्मोड़ा तक छोड़ दिया और बेंगलुरु चले गए। हालांकि, अल्मोड़ा से उनका रिश्ता अब भी है और लक्ष्य वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद वहां गए भी थे। एक बार जो लक्ष्य ने रैकेट पकड़ा, इसके बाद बचपन के खेलकूद सब भूल गए। लक्ष्य के पिता डीके सेन बैडमिंटन के जाने-माने कोच हैं और वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं।
ये भी पढ़ें:
पिता की देखरेख में लक्ष्य ने होश संभालते ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया और वह चार साल की उम्र से स्टेडियम जाने लगे। छह-सात साल की उम्र में ही लक्ष्य का खेल और उनकी प्रतिभा हर किसी को हैरान करती थी। लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। चिराग जूनियर राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियनशिप और जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में नंबर दो रह चुके हैं। लक्ष्य के पिता डीके सेन और मां निर्मला धीरेंद्र सेन ने बताया कि चिराग और लक्ष्य के होने से पहले ही उन्होंने तय कर लिया था कि बेटा हो या बेटी दोनों को बैडमिंटन खिलाड़ी ही बनाना है। लक्ष्य सेन के लिए पिछला एक साल शानदार गुजरा है। 2021 में हुएल्वा में हुए वर्ल्ड चैंपियनशिप के मेन्स सिंगल्स में लक्ष्य ने कांस्य पदक जीता था। इसके बाद लक्ष्य ने थॉमस कप में मेन्स टीम के साथ स्वर्ण पदक जीता था। बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में Lakshya Sen ने पुरुष एकल में स्वर्ण और मिक्स्ड टीम के साथ रजत पदक जीता।